नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: बीएसएफ जवान पीके साहा 23 अप्रैल से पाकिस्तान की हिरासत में हैं, लेकिन
सरकार अब तक उन्हें रिहा कराने में नाकाम रही है। पाकिस्तान ने स्वयं दो तस्वीरें जारी कर यह पुष्टि की थी कि जवान उसकी हिरासत में है। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई या सफलता सामने नहीं आई है, जिससे ना सिर्फ जवान का परिवार, बल्कि पूरा देश चिंतित और नाराज़ है। पिछले 20 दिनों में कई फ्लैग मीटिंग्स हो चुकी हैं, लेकिन इन बैठकों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। सवाल यह है कि भारत सरकार खासतौर पर विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय अब तक क्यों ठोस दबाव नहीं बना पाया है?
परिवार की पीड़ा और सवाल
पीके साहा के परिवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि उन्हें सरकार की चुप्पी और
सुस्ती पर गहरा अफसोस है। जवान की मां ने कहा कि "हमारा बेटा देश की सेवा करते हुए लापता हुआ पाकिस्तान की हिरासत में है और सरकार अब तक कुछ नहीं कर पाई है। कोई ठोस जानकारी नहीं दी जा रही है। क्या एक जवान की जान इतनी सस्ती हो गई है?
पाकिस्तान की पुष्टि और भारतीय प्रतिक्रिया
23 अप्रैल को बीएसएफ जवान के लापता होने के बाद पाकिस्तान की ओर से दो तस्वीरें सार्वजनिक की गईं, जिनमें पीके साहा पाकिस्तान की हिरासत में दिख रहे हैं। इन तस्वीरों के सामने आने के बावजूद भारत सरकार की ओर से न तो कोई उच्च-स्तरीय वार्ता की जानकारी दी गई है और न ही कोई डिप्लोमैटिक प्रेशर साफ तौर पर नजर आ रहा है। बीएसएफ जैसे सुरक्षा बलों के जवानों को सुरक्षित रखने और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार की है। लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार की धीमी प्रतिक्रिया और पारदर्शिता की कमी उसे कटघरे में खड़ा करती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के साथ ऐसे मामलों में राजनयिक दबाव, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाना और सीमा पर कड़ा संदेश देना जरूरी होता है जो फिलहाल नदारद नजर आ रहा है। BSF