नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक एक दिन बाद, 23 अप्रैल को बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ ड्यूटी के दौरान गलती से भारत-पाक सीमा लांघ कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए। इसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया। पूर्णम शॉ को 14 मई 2025 को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा। इस दौरान उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाया गया, लेकिन मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्हें लगातार गालियां दी गईं, नींद नहीं लेने दी गई, और ब्रश तक करने की इजाज़त नहीं थी। हर जगह ले जाते समय उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी।
एक एयरबेस के पास भी रखा गया
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी एजेंसियों ने उन्हें तीन अलग-अलग गुप्त ठिकानों पर रखा। इनमें से एक स्थान एयरबेस के पास था, जहां से उन्हें विमानों की आवाजें सुनाई देती थीं। एक बार उन्हें जेल की कोठरी में भी बंद किया गया। पूर्णम शॉ से पूछताछ करने वाले पाकिस्तानी अफसर सेना की वर्दी में नहीं, बल्कि सिविल ड्रेस में थे। उनसे बीएसएफ की तैनाती, सीनियर अधिकारियों के नाम और संपर्क सूत्रों के बारे में जानकारी मांगी गई। हालांकि, बीएसएफ के नियमों के तहत उनके पास मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए वह कोई संपर्क नंबर नहीं दे सके।
भारत लौटने के बाद हुई मेडिकल जांच और पूछताछ
भारत लौटने के बाद बीएसएफ और अन्य एजेंसियों ने पूर्णम शॉ से औपचारिक पूछताछ की। साथ ही उनकी मेडिकल जांच कराई गई, जिसमें उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति सामान्य पाई गई। हिरासत के दौरान पहने गए कपड़ों को सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत जब्त किया गया। पूर्णम कुमार शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी हैं और बीएसएफ की किसान गार्ड यूनिट में तैनात हैं, जो सीमा पर भारतीय किसानों की सुरक्षा में लगी होती है। पाकिस्तान से वापसी के बाद उन्हें अपने परिवार से बात करने की अनुमति दी गई।
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