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Budget Session 2025 : लोकसभा में UGC नियमों के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव पेश, कांग्रेस नेता बोले-शिक्षा का सांप्रदायिकरण करने की हुई कोशिश

अगर ये नए नियम लागू हो जाते हैं, तो नए नियम कुलपतियों को कुलपति चयन पर अधिक नियंत्रण देंगे। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल जैसी विपक्षी शासित राज्यों के लिए इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होने की संभावना है, जहां सरकार और राज्यपाल वर्तमान में शीर्ष शैक्षणिक

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Jyoti Yadav
सांसद मणिकम टैगोर

Photograph: (ANI)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क 

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बजट सत्र के पांचवें दिन लोकसभा में कांग्रेस नेता ने स्थगन प्रस्ताव पेश किया। दरअसल लोकसभा यूजीसी नियमों को लेकर चर्चा चल रही थी, जिस पर लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने कुलपतियों की नियुक्ति और अनुबंध शिक्षकों की भर्ती पर नए UGC नियमों के खिलाफ लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर का बयान 

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कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा, "मैंने UGC के उन प्रस्तावों के खिलाफ लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया, जो राज्यों की शक्तियों को सीमित करता है। जब से भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई, उस दिन से वे शिक्षा का सांप्रदायिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं और RSS कई तरह के तरीकों से इसे हथियाने की कोशिश कर रहा है और अब UGC कुलपति और अन्य संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए एक नई योजना के साथ आया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इसके खिलाफ शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस तरह की चीजों को रोका जाना चाहिए।"

यूजीसी के नए नियम 

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने 7 जनवरी को नए नियम जारी किए। जिसके मुताबिक राज्यों में राज्यपालों के कुलपति नियुक्त करने में व्यापक अधिकार देते हैं और विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गजों के लिए पद खोलते हैं। 

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लागू होने पर ये होंगे बदलाव

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अगर ये नए नियम लागू हो जाते हैं, तो नए नियम कुलपतियों को कुलपति चयन पर अधिक नियंत्रण देंगे। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल जैसी विपक्षी शासित राज्यों के लिए इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होने की संभावना है, जहां सरकार और राज्यपाल वर्तमान में शीर्ष शैक्षणिक नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विवादों में उलझे हैं।\

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कुलपतियों और अनुबंध शिक्षकों की भर्ती के नए नियम

 यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक, कुलपतियों की नियुक्ति और अनुबंध शिक्षकों की भर्ती के लिए कई बदलाव किए गए हैं। नए नियम के मुताबिक कुलपति की नियुक्ति के लिए अब दस साल का टीचिंग एक्सपीरियंस जरूरी नहीं होगा। अब कुलपति के पद पर ऐसे लोग भी नियुक्त हो सकते हैं जिनका शैक्षणिक योगदान अच्छा हो और उन्हें उद्योग, लोक प्रशासन, लोक नीति, या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 10 साल से ज़्यादा का अनुभव हो। अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति पर सीमा हटा दी गई है। असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद के लिए एमटेक और एमई वाले उम्मीदवार बिना नेट के भी आवेदन कर सकते हैं। पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य योग्यता होगी। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए सहकर्मी-समीक्षा पत्रिकाओं में शोध प्रकाशन या पुस्तक का प्रकाशन होना जरूरी होगा। प्रोफेसर के पद के लिए सहकर्मी-समीक्षा पत्रिकाओं में शोध प्रकाशन या पुस्तक का प्रकाशन होना जरूरी होगा। नए नियमों के तहत, कुलपति की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में कुलाधिपति, यूजीसी अध्यक्ष, और विश्वविद्यालय के शीर्ष निकाय शामिल होंगे। 

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