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CJI गवई के साथ योग : SC में योग दिवस का अद्भुत नज़ारा! | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट में आज 21 जून 2025 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक ऐसा नज़ारा दिखा, जिसने सबको चौंका दिया। इस मौके पर, जस्टिस बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक खास योग सत्र में हिस्सा लिया। आमतौर पर गंभीर और कानून की पेचीदगियों में उलझी रहने वाली अदालत में, योग की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का यह मेल अपने आप में अनूठा था।
इस योग सत्र में सुप्रीम कोर्ट के कई अन्य न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों ने भी भाग लिया, जिससे यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संदेश बन गया कि स्वस्थ मन और शरीर किसी भी कार्यक्षेत्र के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। यह घटना दिखाती है कि योग अब सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन गया है, जिसे हर कोई अपना रहा है, चाहे वह देश का सर्वोच्च न्यायाधीश ही क्यों न हो!
जस्टिस गवई ने दिया फिटनेस का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर, 21 जून 2025 शनिवार को नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक विशेष योग सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक, जस्टिस बीआर गवई ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके साथ अन्य न्यायाधीशों, वकीलों, और कोर्ट के कर्मचारियों ने भी योग के विभिन्न आसन किए। यह दृश्य अपने आप में बेहद प्रेरणादायक था। जहां एक ओर देश की न्यायिक व्यवस्था का उच्चतम पायदान गंभीर विचार-विमर्श और कानूनी बहस का केंद्र होता है, वहीं आज सुबह यह स्थान योग के माध्यम से शांति, एकाग्रता और शारीरिक स्वास्थ्य का प्रतीक बन गया।
सुप्रीम कोर्ट में योग सत्र का आयोजन न केवल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में भी योग कितना आवश्यक है। जस्टिस गवई ने इस पहल में आगे बढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य हर पेशे के लिए जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में योग का यह आयोजन निश्चित रूप से एक नई परंपरा की शुरुआत कर सकता है।
CJI BR Gavai joins Yoga session at Supreme Court on International Yoga Day
— ANI Digital (@ani_digital) June 21, 2025
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योग का बढ़ता प्रभाव: अब न्यायपालिका में भी!
योग का प्रभाव अब समाज के हर वर्ग में देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है। अब जब सुप्रीम कोर्ट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में भी इस तरह के आयोजन हो रहे हैं, तो यह योग की सार्वभौमिक अपील को दर्शाता है। इस योग सत्र में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों के चेहरों पर एक अलग ही ऊर्जा और शांति दिख रही थी।
यह केवल कुछ आसनों का अभ्यास नहीं था, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास था स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और कर्मचारियों के लिए, जो अक्सर घंटों तक बैठे रहते हैं और मानसिक दबाव से गुजरते हैं, योग एक बेहतरीन तनाव मुक्ति का साधन हो सकता है। जस्टिस बीआर गवई का इसमें शामिल होना यह दिखाता है कि वे सिर्फ कानून के जानकार नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक हैं।
योग: सिर्फ आसन नहीं, एक संपूर्ण जीवनशैली
योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह मन, शरीर और आत्मा का संगम है। यह हमें वर्तमान में जीने और अपने आंतरिक शांति को खोजने में मदद करता है। सुप्रीम कोर्ट में योग का यह सत्र इस बात का प्रमाण है कि हर किसी को, चाहे वह कितना भी व्यस्त क्यों न हो, अपने स्वास्थ्य के लिए समय निकालना चाहिए। जस्टिस गवई ने अपनी उपस्थिति से इस बात पर मुहर लगा दी है कि योग न केवल हमारे शरीर को मजबूत करता है, बल्कि हमारे मन को भी शांत रखता है।
इस तरह के आयोजनों से आम जनता को भी प्रेरणा मिलती है कि वे अपने दैनिक जीवन में योग को शामिल करें। यदि देश के सर्वोच्च न्यायाधीश भी अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर योग कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? योग हमें एकाग्रता, धैर्य और सकारात्मकता देता है, जो किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। सुप्रीम कोर्ट में योग की यह गूंज दूर तक जाएगी और लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई के योग करने पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि ऐसे कार्यक्रम अन्य सरकारी विभागों में भी होने चाहिए? नीचे कमेंट करके अपनी राय ज़रूर दें!
International Yoga Day 2025 | India |