Advertisment

अदाणी मामले में जानकारी साझा करने के लिए साइप्रस पर पर्याप्त दबाव डालें पीएम मोदी, कांग्रेस की मांग

कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि अदाणी समूह से जुड़े मामले में एक प्रमुख आरोपी के पास साइप्रस की नागरिकता है और भारत सरकार की ओर से जानकारी साझा करने के लिए इस देश पर उस स्तर का दबाव भी नहीं डाला जा रहा, जिसकी जरूरत है। 

author-image
Mukesh Pandit
एडिट
Cogress Jairam Ramesh
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि अदाणी समूह से जुड़े मामले में एक प्रमुख आरोपी के पास साइप्रस की नागरिकता है और भारत सरकार की ओर से जानकारी साझा करने के लिए इस देश पर उस स्तर का दबाव भी नहीं डाला जा रहा, जिसकी जरूरत है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि साइप्रस की तरफ से जानकारी साझा नहीं करने से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच बाधित हो रही है। उन्होंने यह विषय उस वक्त उठाया जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को साइप्रस के दौरे पर थे। 

अदाणी समूह का साइप्रस में भारी निवेश

अदाणी समूह ने अतीत में उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "प्रधानमंत्री कनाडा जाते हुए साइप्रस पहुंचे हैं। बेशक, वह हमें यह विश्वास दिलाना चाहेंगे कि यह महज संयोग है कि "मोदानी घोटाले" से जुड़े एक प्रमुख व्यक्ति के पास साइप्रस की नागरिकता है। साइप्रस के फंड 'न्यू लियाना' के पास कथित तौर पर अदाणी कंपनियों में करीब 42 करोड़ डॉलर के निवेश हैं। इस फंड के 'अल्टीमेट बेनिफीशियल ओनर' (वास्तविक लाभार्थी) अमीकॉर्प नामक एक संस्था से जुड़े हैं।" 

अमीकॉर्प का नाम मॉरीशस की ऑफसोर कंपनियों से जुड़ा

Advertisment

उन्होंने कहा, "यही अमीकॉर्प कम से कम सात अडानी प्रमोटर इकाइयों की स्थापना में शामिल रही है। इसके अलावा, इसका नाम विनोद अदाणी से जुड़ी 17 ऑफशोर शेल कंपनियों से भी जोड़ा गया है। अमीकॉर्प का नाम मॉरीशस स्थित उन तीन ऑफशोर निवेशकों से भी जुड़ा है, जिन्होंने अदाणी समूह के शेयरों में निवेश किया है। " कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि ये सभी लेनदेन वर्तमान में सेबी की जांच के दायरे में हैं, लेकिन यह जांच इसलिए बाधित हो रही है क्योंकि साइप्रस जैसे 'टैक्स हैवेन' देश वित्तीय लेनदेन की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं और भारत सरकार की ओर से उस स्तर का दबाव भी नहीं डाला जा रहा, जिसकी जरूरत है। 

भारत ने किया था साइप्रस के आजादी आंदोलन का समर्थन

रमेश ने इस बात का उल्लेख किया कि साइप्रस को 16 अगस्त, 1960 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली थी और 1950 के दशक में, भारत ने उसकी आजादी के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा, "पं. जवाहर लाल नेहरू ने वास्तव में, अप्रैल 1955 के अंत में इंडोनेशिया में आयोजित ऐतिहासिक एफ्रो-एशियाई बांडुंग सम्मेलन में साइप्रस के नेता और स्वतंत्रता सेनानी आर्कबिशप मकारियोस तृतीय की भागीदारी सुनिश्चित की थी। मकारियोस उस शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले एकमात्र यूरोपीय थे। दो साल बाद वी के कृष्ण मेनन ने साइप्रस पर एक प्रस्ताव पेश करके और अपने भावपूर्ण भाषण से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में हलचल मचा दी थी। 

Advertisment

इसलिए तुर्किये से बिगड़ थे संबंध

न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पन्ने पर इस प्रस्ताव की खबर को प्रमुखता से छापा गया था। " उन्होंने कहा कि जब नेहरू का निधन हुआ, तो 27 मई 1964 को साइप्रस में सार्वजनिक अवकाश और शोक दिवस की घोषणा की गई थी। रमेश ने कहा, "1980 के दशक की शुरुआत में, हमारी राजधानी के गोल्फ लिंक इलाके में एक व्यस्त और सुंदर सड़क का नाम आर्कबिशप के नाम पर रखा गया... मुझे संदेह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकारों को भी इन सब बातों की जानकारी है।" कांग्रेस नेता ने कहा, "आज की भू-राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में यह याद रखना जरूरी है कि 1950 के दशक में भारत द्वारा साइप्रस की स्वतंत्रता के लिए किये गये समर्थन के बाद तुर्की के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में खटास आई थी।" BJP Congress Conflict | BJP Congress credit war | Congress | BJP vs Congress | Congress BJP not 

Congress BJP vs Congress BJP Congress Conflict Congress BJP BJP Congress credit war
Advertisment
Advertisment