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वाईबीएन डेस्क, नई दिल्ली।कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की आज 25वीं वर्षगांठ है। इस युद्ध में भारत के सैकड़ों सपूत कुर्बान हो गए थे। इनमें एक 25 वर्षीय कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) भी थे। कैप्टन अमोल (Captain Amol) 16 हजार फीट की उंचाई पर चौकी संख्या-5203 को पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे से छुड़ाकर शहीद हो गए। उनके साथ 13 और जवान शहीद हुए थे। इन्होंने 25 पाकिस्तानियों को ढेर कर दिया था। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना जिला अंतर्गत चिंतपूर्णी में अमोल कालिया (Amol Kalia) का जन्म 26 फरवरी 1978 को हुआ था। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई के बाद 1991 में एनडीए (NDA) ज्वाइन किया। 1995 में आईएमए कमीशन पाने के बाद सेकंड लेफ्टिनेंट अमोल कालिया (Amol Kalia) को 1996 में खेमकरण सेक्टर में पोस्टिंग मिली। वो ज्यादातर सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier), कारगिल (Kargil), द्रास व लेह जैसे कठिन क्षेत्रों में तैनात रहे।
घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं
अमोल के बड़े भाई अमन कालिया (Aman Kalia) भी भारतीय वायु सेना (India Air force) में थे। घर में देशभक्ति का माहौल था। ऐसे में अमोल ने भी सेना में जाने का मन बना लिया। अमोल का रिश्ता तय हो चुका था। अमोल छुट्टियां लेकर आने वाले थे। उन्होंने अपने आखिरी खत में लिखा था-जून के आखिरी में आ रहा हूं। आप शादी की तारीख तय कर लेना। यहां सब ठीक है। बस दूसरी तरफ से घुसपैठ चल रही है, उसे जल्द निपटा लेंगे।
कॉल कर मां-बाप से बातचीत करने का किया था प्रयास
कैप्टन का एक जून को लिखा खत 9 जून को घर पहुंचा था, उसी दिन वह शहीद हो गए थे। अपने खत में अमोल बर्फ में खींच गईं अपनी कुछ तस्वीरें भी भेजी थीं। अमोल ने युद्ध से पहले घर के लैंडलाइन फोन पर माता-पिता से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन वह माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi) के दरबार में गए थे। इसके चलते परिवार से बात नहीं कर सके। इसके बाद अमोल और उनके 13 साथियों को जून 1999 के पहले सप्ताह में बटालिक सेक्टर में 16 हजार फुट ऊंची बर्फ से ढकी चौकी-5203 पर भेजा गया, जिसे पाकिस्तानी घुसपैठियों (Pakistani infiltrator) ने कब्जा रखा था।
मरणोपरांत मिला वीर चक्र
कैप्टन अमोल ने 13 जवानों के साथ 16 हजार फीट ऊंची चोटी पर 25 पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ 7 घंटे तक लड़ाई लड़ी। संघर्ष के शुरुआत में दो जवान शहीद हो गए थे। उसके बाद कैप्टन अमोल (Captain Amol) ने मोर्चा संभाला। गोलीबारी में वह घायल हो गए। जख्मी हालत में अमोल ने एलएमजी गन उठाकर पाकिस्तानी घुसपैठियों (Pakistani infiltrator) पर हमला बोला। अमोल ने चार दुश्मनों को ढेर कर दिया। उन्हें देख उनके साथी भी दुश्मनों पर टूट पड़े। सभी ने मिलकर दुश्मनों को मार गिराया। चौकी-5203 पर तिरंगा लहराने के बाद घायल अमोल शहीद हो गए। सेना ने उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र (Veer Chakra) से सम्मानित किया।
घर की छत पर तोप का मॉडल, जिसका मुंह पाकिस्तान की ओर
परिवार ने अमोल (Captain Amol) की हर चीज सहेज कर रखी है। मकान की छत पर एक तोप का मॉडल रखा है, जिसका मुंह पाकिस्तान की तरफ है। बलिदानी कैप्टन अमोल कालिया मेमोरियल सोसायटी हर साल शहीद कैप्टन अमोल कालिया के जन्मोत्सव और शहीदी दिवस को उत्साह के साथ मनाती है।
स्वामी विवेकानंद थे आदर्श
अमोल (Amol) अपना आदर्श स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को मानते थे। उनके पार्थिव शरीर की जेब से स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का प्रेरक संदेश मिला था, जिसमें लिखा था... विश्वास करो कि तुम महान हो और महान कार्यों के लिए ही तुम्हारा जन्म हुआ है। तुम कुत्तों के भौंकने से न डरो, न बिजली के गड़गड़ाने से घबराओ। उठो काम करो, तुम्हारे देश को वीर नायक चाहिए। वीर बनो चट्टान की तरह स्थिर रहो। सत्य की सर्वदा विजय होती है। बहादुर बनो-बहादुर बनो। मनुष्य केवल एक बार मरता है, विद्युतीय संचार से नवप्राण भर दो।
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