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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेस के साथ सोमवार को जम्मू-कश्मीर के हरवान-दाचीगाम जंगलों में एक भीषण मुठभेड़ के दौरान मारा गया पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा पाकिस्तानी सेना का कमांडो था। यह मुठभेड़ श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर हुई। सेना की चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि अब तक तीन आतंकियों को ढेर किया गया है और ऑपरेशन जारी है। यह मुठभेड़ उसी संदिग्ध नेटवर्क को निशाना बनाने के लिए चल रही थी, जो 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए नरसंहार में शामिल था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
एसएसजी का हिस्सा था हाशिम मूसा
हाशिम मूसा कोसुलेमान मूसा के नाम से भी जाना जाता था, पहले पाकिस्तान की स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (SSG) का हिस्सा रहा था। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, उसे बाद में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल किया गया। माना जा रहा है कि उसे पाकिस्तान की मिलिट्री इंटेलिजेंस द्वारा भारत में क्रॉस-बॉर्डर ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए भेजा गया था।
घुसपैठ और आतंकी गतिविधियां
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाशिम मूसा ने सितंबर, 2023 में कठुआ-सांबा सेक्टर के जरिए भारत में घुसपैठ की थी। इसके बाद वह बडगाम, बारामुला, राजौरी, पुंछ और गांदरबल जिलों में सक्रिय रहा। उसकी गतिविधियों का सुराग पकड़े गए OGWs (ओवरग्राउंड वर्कर्स) की पूछताछ के दौरान मिला।
22 अप्रैल का पहलगाम हमला
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी क्षेत्र में अज्ञात आतंकियों ने आम नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। हमलावरों के पास M4 रायफलें थीं और उनकी कार्रवाई में सेना जैसी ट्रेनिंग की झलक थी। जांच में सामने आया कि इस हमले की योजना और नेतृत्व हाशिम मूसा ने किया था।
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पहले के हमलों में भी संलिप्त रहा था
सूत्रों के मुताबिक, हाशिम मूसा 2024 में बारामुला और गांदरबल में हुए कम से कम तीन आतंकी हमलों में भी शामिल रहा। उसके मूवमेंट्स की पुष्टि डिजिटल इंटेलिजेंस और मानव स्रोतों से हुई है। पहलगामहमले के बाद, J&K पुलिस ने मूसा समेत तीन आतंकियों के स्केच जारी किए और 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया। करीब 15 ओवरग्राउंड वर्कर्स की गिरफ्तारी के बाद ऑपरेशन को गति मिली।पाकिस्तानी सेना की पृष्ठभूमि और लश्कर से जुड़ाव के चलते हाशिम मूसा सबसे खतरनाक विदेशी आतंकियों में से एक माना जाता था। उसका मारा जाना भारत की आतंकवाद विरोधी मुहिम में एक बड़ी सफलता है और सुरक्षा एजेंसियों के लिए राहत की बात है।
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