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Delhi high Court: गवर्नेंस में सुधार पर रिपोर्ट देने में देरी पर दिल्ली सरकार को फटकार, जानें क्या है मामला

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा, 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आदर्श आचार संहिता) का इससे क्या लेना-देना? यह बहुत ही गंभीर मामला है और आप चुनाव की आड़ ले रहे हैं?'

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Mukesh Pandit
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Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर और गवर्नेंस में सुधार पर एक अहम रिपोर्ट सौंपने में देरी के लिए आगामी चुनावों का हवाला देकर देरी की है। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आदर्श आचार संहिता) का इससे क्या लेना-देना? यह बहुत ही गंभीर मामला है और आप चुनाव की आड़ ले रहे हैं?'

हाई कोर्ट बेंच पिछले साल शहर के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक ढांचागत सुधार और बदलाव के लिए गठित एक हाई लेवल कमेटी की प्रगति की समीक्षा कर रही थी। कोर्ट ने रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा बढ़ाने के लिए समय पर अर्जी न दाखिल करने पर दिल्ली सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए कहा, 'हर बार चुनाव का बहाना नहीं चलेगा। आपको विभागों के बीच व्यापक विचार-विमर्श लंबित होने के कारण आपको समय मांगना चाहिए था।'

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क्या है पूरा मामला

असल में , 27 जुलाई 2024 को ओल्ड राजेंद्र नगर में राउस आईएएस स्टडी सर्किल वाले बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने से उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के नेविन डेल्विन की मौत हो गई थी। एमसीडी के वकील ने कहा कि अतिक्रमण हटा दिए गए हैं और इलाके में नई नालियों के लिए कदम उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता कुटुंब ने मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाने की मांग की है। अदालत ने दो अगस्त को एमसीडी आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे अपने पर्यवेक्षी अधिकार का प्रयोग करने में विफल रहने वाले वरिष्ठ अधिकारियों सहित दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित करें।

अफसरों से भी नाराजगी

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हाईकोर्ट ने एमसीडी से यह भी सवाल किया कि पिछले साल जुलाई में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन सिविल सेवा के उम्मीदवारों की डूबने से हुई मौत पर उसने अपने अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है? पीठ ने एमसीडी के वकील से कहा, 'तीन जिंदगियां चली गईं. क्या आप तीन बच्चों की मौत की पुनरावृत्ति को बर्दाश्त कर सकते हैं?' पीठने कहा कि सीबीआइ उनके आचरण की 'आपराधिकता' की जांच कर रही है, लेकिन एमसीडी को यह सूचित करना होगा कि पिछले साल हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित सिविल दायित्व को तय करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि एमसीडी आयुक्त खुद इस मामले में हाईकोर्ट में पेश हों।

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सीबीआई का तर्क?

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उधर,  सीबीआई के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटर के मालिक समेत प्राइवेट लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और वो एमसीडी के एक जूनियर इंजीनियर समेत दो अन्य अधिकारियों -अग्निशमन विभाग के डिविजनल ऑफिसर और असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर- के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि जांच की जानकारी सतर्कता विभाग के साथ शेयर की गई है।

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