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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को एक छात्र के सर्टिफिकेट में सुधार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि इससे न केवल दस्तावेजों में सटीकता आएगी, बल्कि नागरिकों की पहचान भी सुरक्षित रहेगी। कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक का अधिकार है कि उसके सार्वजनिक दस्तावेजों में सही और सटीक जानकारी हो। कोर्ट कहा है कि सभी आधिकारिक दस्तावेजों में एकरूपता होनी चाहिए।
क्या है मामला?
सीबीएसई ने एक छात्र के दसवीं कक्षा के प्रमाणपत्र में जन्मतिथि को सुधारने का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सीबीएसई की दलील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जन्म प्रमाणपत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और इसमें सुधार करना जरूरी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक को यह अधिकार है कि उसके सरकारी दस्तावेजों में उसके बारे में सही और सटीक जानकारी दर्ज हो। कोर्ट ने यह बात उस मामले में कही जिसमें एक छात्र ने अपने जन्म प्रमाणपत्र के अनुसार सीबीएसई के सर्टिफिकेट में अपनी जन्मतिथि सही करवाने की मांग की थी।
दस्तावेज में एक जैसी जानकारी होना जरूरी
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वी. शंकर की पीठ ने कहा कि सभी आधिकारिक दस्तावेजों में एक जैसी जानकारी होना बहुत जरूरी है। इससे न केवल रिकॉर्ड सही रहता है, बल्कि किसी व्यक्ति की पहचान को लेकर कोई भ्रम भी नहीं होता।
कोर्ट ने खारिज की CBSE की दलील
CBSE ने इस बदलाव का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं। अदालत ने साफ कहा कि सीबीएसई जैसे बड़े बोर्ड को नागरिकों के सही रिकॉर्ड को मान्यता देनी चाहिए, खासकर तब, जब उनके पास वैध सरकारी दस्तावेज़ मौजूद हों- जैसे कि चेन्नई नगर निगम द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र। कोर्ट ने यह भी कहा कि दसवीं कक्षा का प्रमाणपत्र जन्मतिथि का एक महत्वपूर्ण प्रमाण होता है, लेकिन यदि इसमें कोई गलती हो और उसके समर्थन में असली जन्म प्रमाणपत्र हो, तो उसे ठीक करना जरूरी है। Delhi high court