नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दूरसंचार विभाग ने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकाम) सेवाएं देने के लिए आधिकारिक रूप से लाइसेंस जारी कर दिया है। मीडिया को इस बात की जानकारी समाचार एजेंसी के माध्यम से मिली है, लेकिन सरकार या स्टारलिंक ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि यह फैसला भारतीय सैटलाइट इंटरनेट बाजार में मजबूत प्रतिस्पर्धा और रफ्तार लाएगा।
15-20 दिनों में प्रदान किया जाएगा परीक्षण स्पेक्ट्रम
दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने पुष्टि की है कि स्टारलिंक को लाइसेंस मिल गया है और कहा कि आवेदन करने के 15-20 दिनों के भीतर उन्हें परीक्षण स्पेक्ट्रम प्रदान कर दिया जाएगा। स्टारलिंक को भारत में ब्रॉडबैंड और सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की हरी झंडी मिलने से देश के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिल सकती है।
दूरसंचार विभाग से लाइसेंस लेने वाली तीसरी कंपनी
स्टारलिंक दूरसंचार विभाग से लाइसेंस हासिल करने वाली तीसरी कंपनी है। ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) लाइसेंस मंजूर होने के साथ ही स्टारलिंक अब भारती एयरटेल-यूटेलसैट की वनवेब और रिलायंस जियो के बाद भारत में सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट की पेशकश करने वाली तीसरी कंपनी बन गई है।
2021 से ही भारतीय बाजार पर नजर गड़ाए हुई थी स्टारलिंक
स्पेसएक्स के मालिकाना हक वाली स्टारलिंक 2021 से ही भारतीय बाजार पर नजर गड़ाए बैठी थी। स्टारलिंक ने 2022 में भारत में व्यापारिक प्रवेश के लिए समझौते की शुरुआत की थी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे लंबा इंतजार करना पड़ा। अब दूरसंचार विभाग से मंजूरी मिलने के बाद यह कंपनी देश में अपनी सेवा लांच कर सकेगी।
सुदूर और अछूते क्षेत्रों जोर देती है कंपनी, ग्रामीण क्षेत्र को होगा लाभ
स्टारलिंक का जोर खासतौर पर रिमोट और सेवा से बाहर रह गए क्षेत्रों पर है। ऐसी जगहों तक पारंपरिक नेटवर्क पहुंच नहीं पाता है। लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट्स से तेज और लो‑लेटेंसी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल सकेगी, जिससे ग्रामीण भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी को बेहतर किया जा सकता है।
सिंधिया ने हाल ही में दिए थे संकेत
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा था कि स्टारलिंक सैटेलाइट कनेक्टिविटी टेलीकॉम के गुलदस्ते में एक और फूल की तरह है। मोबाइल कनेक्टिविटी के साथ-साथ हमारे पास ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी भी है, लेकिन सैटेलाइट कनेक्टिविटी ऐसे दूरदराज के इलाकों में बहुत अहम है, जहां वायर्ड कनेक्शन आसानी से नहीं पहुंच सकते।
उन्होंने आगे बताया, 'आने वाले दिनों में तीसरा लाइसेंस जारी किया जाएगा। पहला लाइसेंस वनवेब को दिया गया था, दूसरा रिलायंस को दिया गया है और तीसरा लाइसेंस स्टारलिंक को दिया जा रहा है। इसके बाद सरकार स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराएगी और देश में यह सेवा जल्द शुरू होगी।'