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बंद होगा FASTag, अब GPS से कटेगा Toll Tax, जानिए क्या है नया GNSS सिस्टम?

1 मई 2025 से पूरे देश में एक नया GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा। अब तक इस्तेमाल हो रही FASTag प्रणाली को धीरे-धीरे हटाया जाएगा और उसकी जगह सैटेलाइट से जुड़ा एक अत्याधुनिक सिस्टम लाया जा रहा है।

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Pratiksha Parashar
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। GNSS System: केंद्र सरकार अब टोल वसूली के लिए एक नई तकनीक लेकर आ रही है, जिससे न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से भी छुटकारा मिलेगा। 1 मई 2025 से पूरे देश में एक नया GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा। अब तक इस्तेमाल हो रही FASTag प्रणाली को धीरे-धीरे हटाया जाएगा और उसकी जगह सैटेलाइट से जुड़ा एक अत्याधुनिक सिस्टम लाया जा रहा है, जो वाहन की वास्तविक यात्रा दूरी के आधार पर टोल शुल्क तय करेगा। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने तैयारियां तेज कर दी हैं। 

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FASTag की जगह लेगा GNSS

FASTag की जगह अब GNSS प्रणाली लागू होगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में नागपुर में नई टोल प्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि GNSS आधारित टोल सिस्टम अप्रैल के अंत तक लागू किया जाएगा। हालांकि, इसे 1 अप्रैल से शुरू करने की योजना थी, लेकिन कुछ तकनीकी तैयारियों के कारण इसकी शुरुआत में थोड़ी देरी हो गई। अब सरकार मई 2025 की शुरुआत से इसे लागू करने जा रही है और नई टोल नीति की घोषणा अगले 15 दिनों के भीतर की जाएगी।

टोल सिस्टम में क्यों हो रहा बदलाव ?

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मौजूदा समय में टोल वसूली के लिए इस्तेमाल हो रही FASTag प्रणाली ने भले ही मैन्युअल लेन-देन की प्रक्रिया को डिजिटल और तेज बना दिया हो, लेकिन इसके बावजूद भी टोल प्लाजा पर कई बार तकनीकी गड़बड़ियों के चलते देरी होती रही है। लम्बी लाइनों में फंसे वाहन चालकों को समय और ईंधन दोनों का नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा गलत टोल कटौती और रिचार्ज संबंधित समस्याओं ने भी उपयोगकर्ताओं को परेशान किया है। ऐसे में इस प्रणाली को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसे देखते हुए अब GNSS आधारित नई टोल प्रणाली को अपनाया जा रहा है।

GNSS आधारित टोल प्रणाली कैसे काम करेगी?

GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक आधुनिक तकनीक है, जो सैटेलाइट के जरिए वाहन की रीयल टाइम लोकेशन को ट्रैक करता है। इसके लिए वाहन में एक विशेष प्रकार की ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकर लगाया जाएगा, जो सैटेलाइट से कनेक्ट होकर यह जानकारी देगा कि वाहन ने किस राजमार्ग पर कितनी दूरी तय की है। उसी के आधार पर टोल की गणना की जाएगी और निर्धारित राशि वाहन से जुड़े डिजिटल वॉलेट या बैंक खाते से ऑटोमेटिकली काट ली जाएगी। इस प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि यह प्रीपेड और पोस्टपेड, दोनों तरह की बिलिंग को सपोर्ट करेगी, जिससे उपभोक्ताओं को ज्यादा विकल्प मिलेंगे।

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यात्रा होगी आसान

GNSS आधारित टोल प्रणाली का उद्देश्य केवल टोल वसूली को आसान बनाना नहीं है, बल्कि देश के परिवहन ढांचे को तकनीकी रूप से और भी सशक्त बनाना है। इस नई प्रणाली से न सिर्फ टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी, बल्कि यात्रियों का समय और ईंधन भी बचेगा। यह परिवर्तन देश की सड़क यात्रा को और अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगा।

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