रामनवमी पर पहले Vertical Lift Sea Bridge की सौगात, रामसेतु की तरह होगा मजबूत
रामनवमी पर देश को पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज की सौगात मिलेगी। यह ब्रिज उसी जगह बनेगा जहां से रामसेतु की शुरूआत हुई थी। पुल को रामसेतु की तरह मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है।
आज रामनवमी के मौके पर देश को पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज की सौगात मिलेगी। यह ब्रिज उसी जगह पर बनेगा जहां से रामसेतु की शुरूआत हुई थी। इतना ही नहीं सी ब्रिज को रामसेतु की ही तरह मजबूत बनाने का प्रयास भी किया गया है। यह ब्रिज अंग्रेजों द्वारा 111 साल पहले बनाए गए ब्रिज की जगह लेगा। रेलवे का कहना है कि समुद्र के ऊपर बना यह ब्रिज भारत के अतीत को भविष्य से जोड़ने का भी काम करेगा। PM Modi आज दोपहर करीब 12 बजे इस पंबन रेलवे पुल का लोकार्पण करेंगे। इसके साथ ही पीएम कई विकास परियोजनाओं का शुभारंभ भी करेंगे।
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Photograph: (Google)
550 करोड़ की लागत से बना “राम सेतु”
रेलवे ने आधुनिक राम सेतु यानी पंबन रेलवे पुल का निर्माण उसी जगह (धनुष कोड़ी) से किया है, जहां कभी लंका जाने के लिए राम सेतु बनाया गया था। 550 करोड़ की लागत से बने इस पुल को राम सेतु की तरह मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है। 2.08 किमी लंबा यह ब्रिज भारतीय इंजीनियरिंग का नया कीर्तिमान है। ब्रिज की ऊंचाई पुराने पुल से तीन मीटर अधिक है और इसकी चौड़ाई इतनी है कि एक लेन में दो रेल ट्रैक एक साथ चल सकें।
111 साल पुराने ब्रिटिश पुल की जगह लेगा नया ब्रिज
1914 में बने पुराने पंबन ब्रिज को ब्रिटिश इंजीनियरों ने डिज़ाइन किया था। यह एक कैंटिलीवर ब्रिज था, जिसमें एक शेरजर रोलिंग लिफ्ट सेक्शन था। समुद्र की चुनौतियों और ट्रैफिक दबाव के कारण 2019 में नए पुल को मंज़ूरी मिली थी।दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ब्रिज की श्रेणी में शामिल पंबेन पुल रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा बनाया गया है। इस पुल ने निर्माण के दौरान चक्रवात, समुद्री लहरें और पर्यावरणीय प्रतिबंधों जैसी कई बाधाओं का सामना किया। अब इसे गोल्डन गेट ब्रिज (अमेरिका), टावर ब्रिज (लंदन), ओरेसुंड ब्रिज (डेनमार्क-स्वीडन) जैसी वैश्विक इंजीनियरिंग चमत्कारों की श्रेणी में गिना जा रहा है।
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जानिए क्या होता है वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज?
यह ऐसा पुल होता है जिसे जरूरत पड़ने पर ऊपर उठाया जा सकता है, ताकि बड़े जहाज उसके नीचे से निकल सकें।केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह ब्रिज भारतीय रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर है। यह तमिल संस्कृति, भाषा और सभ्यता का प्रतीक है। इसके वास्तुशिल्प और डिजाइन के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता है