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Yashwant Verma प्रकरण में सरकार का दोहरा रवैया, राज्यसभा की अनदेखी कर रही है केंद्र: कांग्रेस

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार केवल लोकसभा में प्रक्रिया शुरू करने की बात कहकर राज्यसभा की भूमिका की अनदेखी कर रही है ।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर केवल लोकसभा की भूमिका का ज़िक्र कर रही है, जबकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राज्यसभा की भूमिका भी उतनी ही अहम है।

जवाबदेही को लेकर भाजपा का रवैया दिखावटी

पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को कहा कि सरकार इस मामले में केवल लोकसभा में प्रक्रिया शुरू करने की बात कर रही है ताकि वह किसी संभावित शर्मिंदगी से बच सके। उन्होंने कहा, "न्यायपालिका की जवाबदेही को लेकर भाजपा का रवैया दिखावटी है। हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और वाली कहावत यहां पूरी तरह लागू होती है।

यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस राज्यसभा में पेश किया

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सिंघवी ने बताया कि 21 जुलाई 2025 को कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग संबंधी नोटिस राज्यसभा में पेश किया था, जिस पर 63 सांसदों के हस्ताक्षर थे। इसके अलावा लोकसभा में एक और प्रस्ताव पर 152 सांसदों के हस्ताक्षर थे। उन्होंने दावा किया कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्वयं यह बात मानी थी कि उन्हें संबंधित प्रस्ताव मिला है और उन्होंने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह भी पूछा था कि क्या लोकसभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव दाखिल हुआ है, जिसका जवाब 'हां' में मिला था।

झलकती है सरकार की असुरक्षा 

ऐसे में जब दोनों सदनों में प्रस्ताव पेश किया गया है, तो राज्यसभा की भूमिका को नजरअंदाज करना न केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि इससे सरकार की असुरक्षा भी झलकती है, सिंघवी ने कहा। उन्होंने पूर्व कानून मंत्री किरेन रिजिजू पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका यह कहना कि राज्यसभा में कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया, पूरी तरह से तथ्यों के विपरीत है।

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सिंघवी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि अगर वास्तव में राज्यसभा में कोई प्रस्ताव नहीं होता, तो सभापति को इस बारे में सार्वजनिक बयान देने की जरूरत ही नहीं होती। सिंघवी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "यह सब दिखाता है कि मोदी सरकार न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के बजाय केवल राजनीतिक फायदे के लिए यह सब कर रही है। इसका असली मकसद न्यायिक सुधार नहीं, बल्कि विपक्ष को बदनाम करना है। Justice yashwant verma 

Justice yashwant verma
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