नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दुष्कर्म के एक मामले में 23 वर्षीय इंफ्लुएंसर को जमानत देते हुए जो टिप्पणी की, वह चर्चाओं में आ गई है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने 40 वर्षीय महिला से बलात्कार के आरोपी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि महिला "बच्ची नहीं थी"।
आरोपी 9 महीने से जेल में है
महिला ने 23 वर्षीय सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर पर दुष्कर्म समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। शीर्ष अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि यह अंतरिम जमानत देने का उपयुक्त मामला है, क्योंकि आरोपी 9 महीने से जेल में है और मामले में आरोप तय नहीं किए गए हैं। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी को निचली अदालत में पेश किया जाए और नियमों और शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत दी जाए। पीठ ने कहा कि उसे अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और महिला से संपर्क करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। पुलिस शिकायत के अनुसार, महिला पहली बार 2021 में सोशल मीडिया के जरिए उसके संपर्क में आई थी, जब वह अपने कपड़ों के ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की तलाश कर रही थी। शुरुआती बातचीत के दौरान, आरोपी ने कथित तौर पर कंटेंट क्रिएशन को बढ़ाने के लिए एक iPhone मांगा, जिसे उसने जम्मू में एक अधिकृत Apple स्टोर के माध्यम से व्यवस्थित किया। हालांकि, आरोपी द्वारा डिवाइस को फिर से बेचने का प्रयास करने के बाद उनके पेशेवर संबंध खराब हो गए। अधिकृत विक्रेता ने महिला के खाते में पैसे वापस कर दिए, लेकिन 20,000 रुपये काटने के बाद। हालांकि उसने पैसे वापस करने का वादा किया था, लेकिन कुछ समय बाद महिला ने उससे सभी संबंध खत्म करने का फैसला किया।
नशीला पदार्ध पिलाकर किया दुष्कर्म
शिकायत में कहा गया है कि दिसंबर 2021 में, वह व्यक्ति 20,000 रुपये वापस करने और माफ़ी मांगने के लिए नोएडा में महिला के घर गया। बाद में उसने उसे कॉनॉट प्लेस में एक ब्रांड शूट के लिए यात्रा करने के लिए राजी किया। यात्रा के दौरान, आरोपी ने कथित तौर पर उसे नशीले पदार्थ वाली मिठाई दी और वह बेहोश हो गई। हिंदू राव अस्पताल ले जाने के आश्वासन के विपरीत, वह व्यक्ति कथित तौर पर उसे अस्पताल के पीछे एक सुनसान इलाके में ले गया, उसका यौन उत्पीड़न किया, उसके पर्स से पैसे चुराए और उसकी नग्न तस्वीरें खींचीं। शिकायत के अनुसार, इसके बाद महिला को जम्मू जाने के लिए मजबूर किया गया, जहां उसे ढाई साल तक लगातार यौन शोषण, जबरन वसूली और धमकियां दी गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- धारा 376 क्यों लगाई?
महिला की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354 (महिला पर हमला), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा का अपमान करना) और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। कोर्ट ने पुलिस से सवाल पूछते हुए कहा कि आपने किस आधार पर आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया है। वह बच्ची नहीं है। महिला 40 साल की है। वे दोनों एक साथ जम्मू गए हैं। आपने 376 क्यों लगाई है। यह महिला सात बार जम्मू जाती है और पति को कोई परेशानी नहीं होती।"
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