आज होलिका दहन है। होलिका दहन के साथ ही रंगों और उल्लास का यह दो दिवसीय पर्व शुरू हो जाता है। होली का सामाजिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व है। होली ही वह त्यौहार है जब लोग दूसरे के गले मिलकर खुशियां आपस में बांटते हैं और पुराने गिले शिकवे भुला दिए जाते हैं। इस मौके पर घरों में पकवान बनते हैं और सब एक दूसरों के घर जाकर शुभकामनाएं देने के साथ ही पकवानों का लुत्फ उठाते हैं।
होलिका दहन का सही समय जानें
हिंदू पंचाग के मुताबिक होली का त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पूर्णिमा आज यानी 13 मार्च को सुबह 10.35 से शुरू होकर आधी रात 12 बजकर, 23 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष गणना के मुताबिक होलिका पर भद्रा का साया रात 10 बजकर, 30 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात में 11.26 से शुरू होगा और 12.30 तक रहेगा। भद्रा काल में होलिका दहन करने की गलती भूलकर भी न करें। भद्रा काल में शुभ कार्य करने की मनाही है, भ्रदा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है।दरअसल भ्रदा काल में किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होलिका दहन
बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन करने से घर में सकरात्मक ऊर्जा आदि है और समृद्धि आती है। घर से निकाला गया कूड़ा सांकेतिक रूप से होलिका की अग्नि के हवाले कर दिया जाता है, माना जाता है कि घर की नकारात्मक का दहन हो गया, बुरी शक्तियों का अंत हो गया।
होलिका पूजन की विधि
होलिका पूजन से पहले भगवान श्रीगणेश और भक्त प्रह्लाद का ध्यान करें। होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। कच्चे सूत से लपेटते हुए होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें। इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि अर्पित करें। होली की अग्नि में गेहूं की बाली भूनकर उसे घर में रखे जाने से घर परिवार की रक्षा होती है और समृद्धि आती है। होलिका की अग्नि से वातावरण शुद्ध होता है, ऐसी भी मान्यता है।