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नई दिल्ली, आईएएनएस: एक कहावत बड़ी मशहूर है 'मान न मान मैं तेरा मेहमान', ऐसा ही कुछ भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष और दोनों देशों के बीच सहमति से लागू सीजफायर के बीच अमेरिका कर रहा है। वह बिन बुलाए मेहमान की तरह दोनों देशों की आपसी सहमति से लागू सीजफायर पर अपनी पीठ थपथपा रहा है। हालांकि, उसका यह दावा एक तरफा तो सही है कि पाकिस्तान ने उससे युद्ध बंद करने और भारत को समझाने की गुहार लगाई। लेकिन, भारत ने उससे संघर्ष विराम के लिए बातचीत की, ये न तो भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से न ही पीएम के संबोधन से इस बात की पुष्टि हो पाई, यानी ख़्वाह-मख़्वाह ही अमेरिका भारत और पाकिस्तान के आपसी मामलों के बीच चौधरी बनने की जुगत में लग गया।
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मोदी ने भाषण में साफ की तस्वीर
दरअसल, अमेरिका अपनी चौधराई वाली दुनिया में खोई साख को एक बार फिर से चमकाने की जुगत में लगा है। उसे पता है कि अब दुनिया का कोई भी देश उसकी मध्यस्थता स्वीकार करने को तैयार नहीं है। ऐसे में भारत और पाकिस्तान के संघर्ष विराम के बीच वह बिना बुलाए और बिना बताए ही चौधरी बनने पहुंच गया। हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत सिर्फ आतंक के खात्मे और पीओके को लेकर होगी। उन्होंने किसी की भी मध्यस्थता की बात ही नहीं की और दुनिया को संदेश भी दे दिया कि उनको इसके लिए किसी को बीच में लाने की जरूरत नहीं है। लेकिन, पाकिस्तान के लिए तो अमेरिका के दिल में हमेशा से एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है और वह अंदर ही अंदर उसको समर्थन देता रहा है।
आतंकियों के हमले का शिकार अमेरिका खुद हो चुका है
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पाक नेता तक यह मान चुके हैं कि अमेरिका के फंडिंग पर वहां पाकिस्तान में आतंकी पलते हैं। हालांकि उन्हीं आतंकियों के हमले का शिकार अमेरिका खुद हो चुका है। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर भी अमेरिका बैकग्राउंड कंट्रोल चाहता है क्योंकि उसको लगता है कि जिस तरह पाकिस्तान हर बात पर परमाणु हमले की धमकी देता रहता है, कहीं यह अमेरिका के लिए भी हानिकारक न हो जाए। वहीं, अमेरिका भारत से ज्यादा पाक के सैन्य अड्डों, एयरबेस व परमाणु हथियारों में दिलचस्पी लेता रहा है। लेकिन, चीन और अन्य मुस्लिम देशों का पाकिस्तान पर दबाव इतना है कि अमेरिका को इसमें कुछ हासिल नहीं हो पाया है।
ट्रंप अपनी पीठ थपथपाते नजर आए
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के समय भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अपनी प्रेस वार्ता में एक भी बार अमेरिका की मध्यस्थता की बात नहीं की और साफ कह दिया था कि पाकिस्तान के डीजीएमओ से भारत के डीजीएमओ की बातचीत हुई और भारत ने अपनी शर्तों पर सीजफायर करने की घोषणा की। लेकिन, ट्रंप यहीं से अपनी पीठ थपथपाते नजर आए। इसके बाद फिर एक बार व्हाइट हाउस की तरफ से यह बताया गया कि पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर पर अमेरिका ने दोनों देशों के साथ बातचीत की। जबकि, भारत सरकार की तरफ से ऐसी बात कभी नहीं कही गई। वहीं, जब 12 मई को पीएम मोदी के द्वारा देश के नाम संबोधन की घोषणा की गई, उस संबोधन के ठीक पहले एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा दावा किया, जो किसी के लिए पचा पाना मुश्किल था।
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यह बोले थे- ट्रंप हमने एक परमाणु संघर्ष को रोका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “हम आपके साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं, चलो इसे रोकते हैं। अगर आप इसे रोकते हैं, तो हम व्यापार कर रहे हैं। अगर आप इसे नहीं रोकते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करने जा रहे हैं। हम पाकिस्तान के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं, हम भारत के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। हम अभी भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, हम जल्द ही पाकिस्तान के साथ बातचीत करने जा रहे हैं।उन्होंने अपनी पीठ खुद थपथपाते हुए कहा, “हमने (एक) परमाणु संघर्ष को रोका। मुझे लगता है कि यह एक बुरा परमाणु युद्ध हो सकता था। लाखों लोग मारे जा सकते थे। इसी कारण मुझे इस पर बहुत गर्व है।
India Pakistan conflict donald trump
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