/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/10/JuJOd7xyvOiPU62SEmBR.png)
00:00/ 00:00
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारतीय सेना कीवायु सुरक्षा प्रणालीको और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (QR-SAM) की तीन रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दे सकता है। इस प्रस्तावित सौदे की लागत लगभग 30,000 करोड़ रुपये होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) इस महीने के अंत तक इस डील को लेकर आवश्यकता की स्वीकृति देने पर विचार कर सकती है। यह मिसाइल प्रणाली भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा रणनीति को और सशक्त बनाने में मदद करेगी।
क्यूआर-सैम से दुश्मनों के ड्रोन और मिसाइल होंगे तबाह
QR-SAM एक अत्याधुनिक मिसाइलप्रणाली है जिसे खासतौर पर 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, ड्रोन और मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम बेहद मोबाइल है और इसे ट्रक, बंकर या मोबाइल यूनिट जैसे किसी भी प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के मुताबिक, "QR-SAM को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह युद्ध क्षेत्र में टैंकों और पैदल सेना के साथ चलते हुए उन्हें हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान कर सके।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तेज़ हुई प्रक्रिया
यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में हुए "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की ओर से लॉन्च किए गए तुर्की मूल के ड्रोन और चीनी मिसाइलों को सफलतापूर्वक विफल किया था। इस अभियान के बाद QR-SAM जैसे अत्याधुनिक रक्षा सिस्टम की जरूरत और अधिक स्पष्ट हो गई है। भारतीय सेना की वायु रक्षा शाखा (AAD) को QR-SAM की कुल 11 रेजिमेंटों की आवश्यकता है। फिलहाल यह शाखा स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम को भी अपनी क्षमताओं में शामिल कर रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और सेना ने मिलकर पिछले कुछ वर्षों में कई सफल परीक्षण किए हैं और QR-SAM को लगातार अपग्रेड किया गया है।
एक साथ कई लक्ष्यों को कर सकता है ट्रैक
QR-SAM की सबसे खास बात यह है कि यह एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है। यह प्रणाली तेजी से प्रतिक्रिया देती है और किसी भी अचानक हुए हवाई हमले को रोकने की क्षमता रखती है। इसके साथ ही DRDO एक और नई प्रणाली पर भी काम कर रहा है जिसे वीएसएचओआरएडीएस (VSHORADS) कहा जाता है। इसकी रेंज 6 किलोमीटर होगी और यह बहुत कम दूरी के हवाई खतरों को टारगेट करने के लिए बनाई जा रही है। Air Force