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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: दुनिया के कुछ देशों में बीते डेढ़ दशक में इंटरनेट फ्रीडम के मामले में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इन देशों में पाकिस्तान, मिस्र, रूस, तुर्किए और वेनेजुएला शामिल हैं। यहां की सरकारों ने शासन के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर सोशल मीडिया पर कंट्रोल बढ़ा दिया है। 2011 से 2015 के बीच पाकिस्तान में इंटरनेट स्वतंत्रता में तेजी से गिरावट आई। पाकिस्तान में इंटरनेट फ्रीडम नहीं है।
सरकार की ओर से लगाई जाने वाली सेंसरशिप का हवाला
पाकिस्तानी मीडिया डॉन ने ग्लोबल डेमोक्रेसी की निगरानी संस्था की हालिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि पाकिस्तान इंटरनेट फ्रीडम के मामले में 100 में से 27वें रैंक पर है। पाकिस्तानी मीडिया ने इंटरनेट फ्रीडम के लिए सरकार की ओर से लगाई जाने वाली सेंसरशिप का हवाला दिया है। अमेरिकी फ्रीडम हाउस ने 1 जून 2024 से लेकर 31 मई 2025 तक की एक रिपोर्ट साझा की। इसके अनुसार अधिकारियों ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) को भी ब्लॉक करने की धमकी दी है। इसके अलावा देश के साइबर अपराध कानून में भी संशोधन किया गया है। इसके बारे में संबंधित अधिकारियों का कहना है कि वीपीएन का दुरुपयोग किया जा सकता है। वहीं भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में इंटरनेट को लेकर काफी आजादी है। रिपोर्ट में इन देशों को आंशिक रूप से स्वतंत्र कैटेगरी में रखा गया है। 100 में से भारत का रैंक 51, श्रीलंका का 53 और बांग्लादेश का रैंक 45 है।
चीन और म्यांमार 9वें, ईरान 13वें और रूस 17वें स्थान पर
इस लिस्ट में सबसे निचले पायदान पर चीन, म्यांमार, ईरान और रूस हैं। चीन और म्यांमार 9वें, ईरान 13वें और रूस 17वें स्थान पर है। पाकिस्तान में 2012 के बाद इंटरनेट फ्रीडम का दर्जा 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' से 'स्वतंत्र नहीं' तक पहुंच गया। डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया, पाकिस्तानियों ने कवरेज अवधि के दौरान खराब इंटरनेट क्वालिटी और व्हाट्सएप, सिग्नल और अन्य प्लेटफॉर्म तक उनकी पहुंच में रुकावट की सूचना दी। रिसर्चर्स ने पाया कि कनेक्टिविटी में रुकावट संभवतः नई वेबसाइट निगरानी और ब्लॉकिंग तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी थी।
इनपुट-आईएएनएस
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