नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पश्चिम एशिया में जारी ईरान-इजरायल युद्ध के बीच भारत सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए ईरान में फंसे 110 भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। इन छात्रों में 90 छात्र कश्मीर के रहने वाले हैं, जो ईरान की उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे।
जमीनी रास्ते से निकासी, फिर फ्लाइट से वापसी
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन छात्रों को बसों के ज़रिए ईरान-आर्मेनिया सीमा से बाहर लाया गया और येरेवन में अस्थायी रूप से ठहराया गया। इसके बाद उन्हें इंडिगो की फ्लाइट से दोहा (कतर) होते हुए आज नई दिल्ली लाया जा रहा है।
ईरान की बिगड़ती स्थिति में रणनीतिक रेस्क्यू
ईरान में युद्ध के चलते हवाई क्षेत्र पर कई पाबंदियां हैं। ऐसे में भारत ने लैंड बॉर्डर का उपयोग करते हुए नॉरदुज बॉर्डर चेकपोस्ट के जरिए छात्रों को आर्मेनिया भेजा, जहां से येरेवन एयरपोर्ट तक उनकी व्यवस्था की गई।
विदेश मंत्रालय की बड़ी भूमिका
विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि सभी छात्र सुरक्षित हैं। मंत्रालय ने पहले ही ईरान में रह रहे भारतीयों से यात्रा विवरण (पासपोर्ट, वाहन, बॉर्डर की जानकारी) साझा करने की अपील की थी, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन को सुव्यवस्थित किया जा सका। J&K Students Association
के मुताबिक उर्मिया यूनिवर्सिटी के
छात्रों ने कहा- हमें समय पर सुरक्षित निकालने के लिए विदेश मंत्रालय और भारत सरकार का आभार।
अब भी ईरान में मौजूद हैं हजारों भारतीय
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस वक्त ईरान में लगभग 10,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 1,500 छात्र हैं। भारत सरकार बाकियों की निकासी पर भी काम कर रही है और स्थिति पर लगातार नज़र बनाए हुए है।
भारत-आर्मेनिया मार्ग क्यों चुना गया?
- भारत-आर्मेनिया संबंध मजबूत हैं, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग भी है।
राजनीतिक स्थिरता: आर्मेनिया युद्ध से अप्रभावित और भारत समर्थक देश है।
फ्लाइट ऑपरेशन चालू हैं, जिससे छात्र जल्दी भारत लौट सकते हैं।
तटस्थता: युद्ध में किसी पक्ष के समर्थन में नहीं है, जिससे रेस्क्यू आसान हुआ।
पाकिस्तान, इराक और तुर्किये क्यों नहीं?
- पाकिस्तान: भारत से संबंध बेहद खराब।
- इराक: युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल, असुरक्षित।
- तुर्किये: भौगोलिक दूरी और हालिया कूटनीतिक तनाव।
- अजरबैजान: पाकिस्तान समर्थक रुख के कारण अविश्वसनीय।
एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया?
- ईरानी एयरस्पेस पर प्रतिबंध और इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स बंद हैं।
इजराइली हमलों का खतरा लगातार बना हुआ है।
सरकार की अनुमति युद्धकाल में मिलना मुश्किल।
जमीनी मार्ग ही सुरक्षित और व्यवहारिक विकल्प था।
तेहरान में हालात बेहद खराब
- तेल संकट: पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें, ईंधन की किल्लत।
- शहरों में अफरातफरी: लोग शरण की तलाश में, सड़कों पर जाम।
- जनजीवन ठप: बमबारी के डर से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे।
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