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ISRO-NASA NISAR मिशन आज होगा लॉन्च, पहली बार GSLV से सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में जाएगा उपग्रह

ISRO आज NASA के साथ मिलकर NISAR सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा। यह मिशन पहली बार GSLV रॉकेट से सूर्य-स्थिर कक्षा में जाएगा और हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का डेटा भेजेगा।

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Dhiraj Dhillon
NISAR
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की साझेदारी में विकसित निसार (NISAR - NASA ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट का प्रक्षेपण आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। यह मिशन पहली बार GSLV-S16 रॉकेट के माध्यम से सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा।

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क्या है निसार मिशन की खासियत?

निसार मिशन पृथ्वी की सतह की निगरानी के लिए दुनिया का पहला उपग्रह है जिसमें दो बैंड का रडार सिस्टम (नासा का L-बैंड और इसरो का S-बैंड) एक साथ लगाया गया है। यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें भेजेगा।इस मिशन से वनस्पति में बदलाव, हिमखंडों की हलचल, जमीन में विकृति, और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर रखी जा सकेगी।

पूरे विश्व का डेटा होगा उपलब्ध

ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन और वरिष्ठ वैज्ञानिक कावुलुरु के अनुसार, उपग्रह अंटार्कटिका, उत्तरी ध्रुव और महासागरों सहित पूरे विश्व से डेटा एकत्र करेगा।अधिकांश डेटा ओपन-सोर्स के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिक और सरकारी एजेंसियां इसे उपयोग कर सकेंगी। GSLV-S16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है और यह प्रक्षेपण के 19 मिनट के भीतर उपग्रह को लगभग 743 किलोमीटर ऊंची सूर्य-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देगा।
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जलवायु और आपदा प्रबंधन में मददगार

यह मिशन समुद्री स्तर की निगरानी, तूफानों की पहचान, भू-धंसाव, सतही जल संसाधनों की मैपिंग, और आपदा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में गेम-चेंजर साबित होगा।निसार बर्फ की चादरों में बदलाव और भूकंप से उत्पन्न दरारों की भी निगरानी करेगा।

उन्नत तकनीक से लैस

Synthetic Aperture Radar (SAR): दोहरे बैंड रडार जो दिन-रात, हर मौसम में स्पष्ट डेटा भेजेगा।
12 मीटर का मेश रिफ्लेक्टर एंटीना: जो नासा द्वारा तैयार किया गया है और इसरो के I3K बस से जोड़ा गया है।242 किलोमीटर की स्कैनिंग चौड़ाई और उच्च स्थानिक रेजोल्यूशन से पृथ्वी का निरीक्षण करेगा।
nasa ISRO
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