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Jairam Ramesh का केंद्र पर हमला: क्या GST Council अब सिर्फ औपचारिकता रह गई है?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की जीएसटी 2.0 संबंधी घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या जीएसटी परिषद अब केवल औपचारिकता बनकर रह गई है।

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Ranjana Sharma
Copngress Leader Jairam Ramesh

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्‍क:  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की ओर से घोषित जीएसटी 2.0 के मसौदे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या अब जीएसटी परिषद सिर्फ एक औपचारिक मंच बनकर रह गई है, जिसका इस्तेमाल केवल केंद्र सरकार के फैसलों पर मुहर लगाने के लिए किया जा रहा है।(

एक्‍स पर पोस्‍ट कर साधा निशाना 

सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी करते हुए रमेश ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी 2.0 की वकालत करती रही है। इसका मकसद कर दरों को सरल बनाना, रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स कम करना, कर चोरी रोकना, गलत वर्गीकरण व कानूनी विवादों को कम करना और एमएसएमई पर प्रक्रियात्मक बोझ घटाना है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री की हालिया घोषणाओं पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कई अहम घोषणाएं कीं, लेकिन प्रधानमंत्री पहले ही अपने 15 अगस्त, 2025 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में इन फैसलों की झलक दे चुके थे। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या जीएसटी परिषद महज औपचारिकता बनकर रह गई है?

GST 1.0 पर भी उठाए सवाल

जयराम रमेश ने जीएसटी 1.0 की संरचना को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इसकी डिज़ाइन मूल रूप से त्रुटिपूर्ण थी। “निजी खपत में गिरावट, निवेश की सुस्ती और लगातार बढ़ते वर्गीकरण विवादों के बीच अब खुद सरकार को यह स्वीकारना पड़ा है कि जीएसटी 1.0 अपनी सीमा तक पहुंच चुका है। कांग्रेस ने 2017 में ही इन खामियों की ओर ध्यान दिलाया था। उन्होंने जीएसटी को “गुड एंड सिंपल टैक्स” की जगह “ग्रोथ सप्रेसिंग टैक्स” करार देते हुए कहा कि यह न तो उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हुआ और न ही छोटे उद्योगों के लिए।

राज्यों की मुआवजा मांग को बताया अहम

जयराम रमेश ने राज्यों की लंबित मांगों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि राजस्व क्षति की भरपाई के लिए मुआवजा अवधि को पांच वर्षों तक बढ़ाने की मांग अभी भी अनसुलझी है। "सहकारी संघवाद की भावना के तहत की गई यह मांग दर कटौती के बाद और भी प्रासंगिक हो गई है," उन्होंने जोड़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान घोषणाएं भले ही सुर्खियों में हों, लेकिन 'असली जीएसटी 2.0'का इंतजार अभी भी जारी है। “अगर इसे जीएसटी 1.5 कहा जाए, तो भी सवाल बना हुआ है कि क्या यह निजी निवेश को प्रोत्साहन देगा? क्या एमएसएमई पर बोझ घटेगा? यह आने वाला वक्त बताएगा।  Jairam Ramesh | Diwali GST Gift | GST 2.0 Tax Reform 
इनपुट- IANS
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