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एक बार फिर सुर्खियों में आए Justice Cunha, जयललिता से रहा है खास कनेक्शन

11 साल पहले माइकल कुन्हा जस्टिस नहीं थे। तब वो स्पेशल कोर्ट के जज थे। उनकी ही अदालत में तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता का केस लगा था। 2014 में उन्होंने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया।

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Shailendra Gautam
Chinnaswami stamede

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः  जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा का नाम 11 साल बाद फिर से एक बार सुर्खियों में है। कर्नाटक सरकार ने 4 जून को बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ की जांच के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। अब वो ही इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे। 11 साल पहले जस्टिस कुन्हा ने ऐसा काम किया था जिससे वो देश भर में छा गए थे।

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2014 में स्पेशल जज थे कुन्हा, सनाई थी जयललिता को सजा

11 साल पहले माइकल कुन्हा जस्टिस नहीं थे। तब वो स्पेशल कोर्ट के जज थे। उनकी ही अदालत में तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता का केस लगा था। उनके ऊपर भारी दबाव था। कहते हैं कि जयललिता की टीम उनको निर्दोष साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। वो साम दाम दंड के साथ भेद को भी लागू करने में जुटी थी, जिससे जयललिता को राहत मिल सके। लेकिन कुन्हा ने किसी भी चीज की परवाह नहीं की। 2014 में उन्होंने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया। जयललिता को सजा सुनाई गई और ये वो दौर था जिसे जयललिता के पतन की शुरुआत कहा जा सकता है। सजायाफ्ता होने के बाद वो कभी उपर नहीं सकीं। कुन्हा तब खासी चर्चाओं में आ गए थे। 

2016 में आए हाईकोर्ट, पांच साल बाद हुए थे रिटायर

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एसडीएम लॉ कॉलेज से स्नातक जस्टिस जॉन माइकल डी कुन्हा ने 1985 में वकालत शुरू की थी। इसके बाद वो कर्नाटक हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए बेंगलुरु चले गए। उन्होंने 2002 में बेंच से अपना करियर शुरू किया और बेल्लारी, धारवाड़, हुबली और बेंगलुरु जिलों की अदालतों में काम किया। बाद में वो न्यायपालिका में शामिल हो गए। नवंबर 2016 में उन्हें हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। नवंबर 2018 में उन्हें परमानेंट जज बनाया गया। उन्होंने 2021 में पद छोड़ा। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वो एक सख्त मिमाज जज को तौर पर मशहूर रहे। उनके पास केस जाने का मतलब माना जाता था कि कोई दबाव काम नहीं करेगा। फिलहाल वो भगदड़ मामले की जांच करेंगे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में इस बात की जानकारी दी थी। 

सीएम सिद्दरमैया ने भगदड़ मामले की जांच का जिम्मा दिया

4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई और 56 लोग घायल हो गए। ये हादसा तब हुआ जब आईपीएल जीतने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की क्रिकेट टीम का स्वागत करने के लिए बड़ी भीड़ जमा हुई थी। 18 साल में आरसीबी की पहली जीत के उपलक्ष्य में बेंगलुरु में जश्न मनाने की योजना बनाई गई थी और टीम प्रशंसकों से मिलने के लिए स्टेडियम पहुंचने वाली थी। बताया जाता है कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए शुरू में शुल्क लिया गया था। लेकिन फिर यह घोषणा किए जाने के बाद कि नि:शुल्क प्रवेश की अनुमति होगी, स्टेडियम के गेट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे भगदड़ मच गई। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी गुरुवार को इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया और राज्य से मामले पर स्थिति रिपोर्ट मांगी। इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून, मंगलवार को होगी।

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