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जस्टिस शेखर ने सरेआम दी थी Hate Speech, पर करीने से बचा ले गई सरकार

संजीव खन्ना इस मामले में एक्शन लेने वाले थे। लेकिन जगदीप धनखड़ ने उनको रोक दिया। सभापति का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट कोई इन हाउस कमेटी न बनाए, क्योंकि इस मामले में महाभियोग प्रस्ताव आ चुका है।

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Shailendra Gautam
vice president

Photograph: (file)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः साल 2024 में 8 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जस्टिस खासा तीखे दिख रहे थे। वो विश्व हिंदू परिषद के लोगों से मुखातिब थे। मुद्दा था यूनिफार्म सिविल कोड। लेकिन जस्टिस शेखर यादव मुस्लिमों पर अपनी भड़ास निकालने लग गए। वो इतना गुस्से में दिखे कि मुस्लिम समुदाय के लिए कठमुल्ला जैसे शब्द का इस्तेमाल कर गए। भाषण के दौरान वो हमारी गीता और आपकी कुरान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते दिखे। कानूनी नुक्तों के जानकारों को उनका भाषण ठीक नहीं लगा। उनका मानना था कि ये Hatespeech है। सिटिंग जज के खिलाफ ऐसा एक्शन होना चाहिए जिससे दूसरों को सबक मिले। judiciary of india n

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हालांकि इस सारे मामले को देखा जाए तो जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ अभी तक न तो सुप्रीम कोर्ट कोर्ट कोई कदम उठा पाया है और न ही सरकार उनके खिलाफ एक्शन लेने में रुचि दिखा रही है। यही वजह है कि दिसंबर 2024 में राज्यसभा में दिए गए महाभियोग प्रस्ताव पर सभापति जगदीप धनखड़ कोई एक्शन लेने को तैयार नहीं हैं। वो फाइल को दबाए हुए हैं। विपक्ष के 55 सांसद धनखड़ को महाभियोग प्रस्ताव सौंप चुके हैं पर वो कार्रवाई नहीं कर रहे। 


SC ने नहीं बनाई इनहाउस कमेटी, HC के चीफ जस्टिस को सौंप दी जांच  

जस्टिस शेखर यादव की स्पीच का मामला सरगर्म हुआ तो सुप्रीम कोर्ट एक्टिव हुआ। 17 दिसंबर 2024 को शेखर यादव दिल्ली तलब किए गए। कालेजियम के सामने उन्होंने अपनी गलती मानने से इन्कार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट चाहता तो तीन मेंबर्स की इन हाउस कमेटी बनाकर शेखर यादव की गर्दन पर हाथ डाल सकता था। जो भाषण जस्टिस ने दिया था वो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था। लेकिन टाप कोर्ट ने इस मामले में हाथ डालने से गुरेज किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया कि वो जांच करके हमारे पास रिपोर्ट भेजें। 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जनवरी 2025 में मामले की जांच की। पहले भाषण की फुटेज देखी और फिर शेखर यादव को तलब किया। उनके पूछा गया कि सिटिंग जस्टिस होते हुए भी उन्होंने इस तरह की विवादित बात क्यों कही। शेखर यादव का कहना था कि जो उन्होंने 8 दिसंबर 2024 को कहा था वो उस पर अभी तक कायम हैं। उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा। चीफ जस्टिस ने अपनी रिपोर्ट में शेखर यादव के भाषण को हेटस्पीच मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ भी नहीं किय। 

सीजेआई संजीव खन्ना लेने वाले थे एक्शन पर VP ने रोक दिया

सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड हुए जस्टिस ऋषिकेश राय ने सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद कहा था कि सीजेआई संजीव खन्ना शेखर यादव के खिलाफ जांच बिठा चुके हैं। हालांकि आज तक ये नहीं पता कि वो जांच कहां तक पहुंच पाई। जानकारों का कहना है कि संजीव खन्ना इस मामले में एक्शन लेने वाले थे। लेकिन जगदीप धनखड़ ने उनको रोक दिया। सभापति का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट कोई इन हाउस कमेटी न बनाए, क्योंकि इस मामले में महाभियोग प्रस्ताव आ चुका है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाथ खुद ही बांध लिए और कोई एक्शन नहीं लिया। 

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महाभियोग प्रस्ताव को लटकाए हुए हैं सभापति

दिसंबर 2024 में विपक्ष ने महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया था। नियम कहते हैं कि ऊपरी सदन में ऐसा प्रस्ताव देने के लिए 50 या उससे ज्यादा सांसद जरूरी होते हैं जबकि लोकसभा के लिए ये आंकड़ा 100 सांसदों का है। विपक्ष के 55 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव जगदीप धनखड़ को सौंपा था। उन्हें सांसदों के दस्तखतों की जांच करके इन हाउस कमेटी का गठन करना था। लेकिन अभी तक ये भी जांच नहीं हो पाई कि दस्तखत ठीक भी हैं या नहीं।

2026 में जस्टिस शेखर यादव हो जाएंगे रिटायर 

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जानकार कहते हैं कि सरकार इस मामले में जिस तरह से आगे बढ़ रही है उससे साफ है कि वो शेखर यादव के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेना चाहती। वो मामले को लटकाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट इन हाउस कमेटी बनाता तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। लेकिन उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने सुप्रीम कोर्ट को रोक दिया। अब खुद कुछ कर नहीं रहे हैं। जाहिर है कि सरकार शेखर यादव को बड़े करीने से बचाकर ले गई। 2026 में उनको रिटायर होना है। जगदीप धनखड़ की स्पीड देखें तो लगता है कि वो आराम से रिटायर हो जाएंगे। 

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