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Justice Yashwant Verma कैशकांड में FIR क्यों नहीं? अमित शाह ने क्या दी सफाई..जानिए

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर नकदी बरामदगी के बाद सवाल उठ रहे हैं कि FIR क्यों नहीं हुई? अमित शाह ने कहा कि बिना CJI की अनुमति FIR संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी FIR की मांग को खारिज कर दिया है और अब समिति की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है।

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Vibhoo Mishra
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद यह मामला सुर्खियों में है। इस घटना के बाद पूरे देश में हलचल मच गई और सवाल उठने लगे कि आखिर अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई? विपक्षी दलों और कई कानूनी विशेषज्ञों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और साफ कर दिया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अनुमति के बिना किसी भी सिटिंग जज पर FIR दर्ज नहीं हो सकती।

FIR पर अमित शाह की सफाई

एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि भारत में किसी भी वर्तमान न्यायाधीश (सिटिंग जज) पर सीधा मामला दर्ज करना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले में एक जजों की समिति गठित कर दी है, जो इसकी जांच कर रही है। इस रिपोर्ट के आने के बाद ही कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा।

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उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस और दमकल विभाग इस मामले में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं और सभी जरूरी दस्तावेज समिति को सौंप दिए गए हैं। अमित शाह ने कहा, "हमें समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के तहत बिना CJI की अनुमति के कोई भी एजेंसी सिटिंग जज के खिलाफ FIR दर्ज नहीं कर सकती।"

कैसे बरामद हुआ कैश?

14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे, लुटियंस दिल्ली में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर अचानक आग लग गई। आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची। जब दमकलकर्मी आग पर काबू पाने के लिए घर के अंदर गए, तो उन्हें स्टोर रूम में भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद हुई।

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इस घटना के बाद न्यायिक हलकों में खलबली मच गई। विपक्षी दलों ने इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए और मांग की कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने FIR की मांग क्यों की खारिज?

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई थी। लेकिन जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

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कोर्ट ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक जांच दायरे में आता है और CJI संजीव खन्ना ने पहले ही एक जजों की समिति का गठन कर दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कोई भी फैसला नहीं लिया जा सकता।

क्या आगे हो सकती है कार्रवाई

जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद जनता और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर काफी आक्रोश है। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, जब तक सुप्रीम कोर्ट की समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती और CJI की अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक FIR दर्ज नहीं की जा सकती।

अब सभी की निगाहें जजों की समिति की रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं। अगर रिपोर्ट में कुछ ठोस सबूत मिलते हैं, तो CJI के आदेश पर इस मामले में आगे की कार्रवाई हो सकती है।

 

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