Advertisment

आई रुखसती की बेला : जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग, स्पीकर ने बनाई 3 सदस्यीय कमेटी

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 146 सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।

author-image
Shailendra Gautam
आई रुखसती की बेला : जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग, स्पीकर ने बनाई 3 सदस्यीय कमेटी | यंग भारत न्यूज

आई रुखसती की बेला : जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग, स्पीकर ने बनाई 3 सदस्यीय कमेटी | यंग भारत न्यूज Photograph: (Goole)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जस्टिस यशवंत वर्मा लड़े तो खूब पर उनकी दाल नहीं गल पाई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा स्पीकर ने उन पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया को अमली जामा पहना दिया। उनके खिलाफ जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। स्पीकर के फैसले से साफ है कि कुल मिलाकर जस्टिस वर्मा की रुखसती की बेला करीब है। 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को उस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी थी जिसमें 146 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की थी। सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव की जांच के बाद ये फैसला किया गया। तीन सदस्यीय पैनल में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन और सीनियर एडवोकेट बीवी आचार्य शामिल हैं। महाभियोग चलाने के लिए 146 सांसदों के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए स्पीकर ने कहा- समिति जल्दी से जल्दी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जांच की रिपोर्ट मिलने तक महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा।

किसी जज के महाभियोग की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत निर्धारित की गई है। लोकसभा की तरफ से गठित समिति अपनी रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंपेगी। वो उसे सदन के सामने रखेंगे। समिति को साक्ष्य प्रस्तुत करने और गवाहों से जिरह करने का अधिकार है। अगर जज को दोषी पाया जाता है तो पैनल की रिपोर्ट को सदन स्वीकृत कर लेता है। इसके बाद प्रस्ताव पर मतदान कराया जाएगा। लोकसभा के बाद यही प्रक्रिया दूसरे सदन यानि राज्यसभा में भी दोहराई जाएगी।

जस्टिस वर्मा के केस में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष दोनों ही एकमत हैं, लिहाजा माना जा रहा है कि महाभियोग की प्रक्रिया में अड़चन नहीं आएगी। सुप्रीम कोर्ट पहले ही जस्टिस वर्मा की याचिका को खारिज कर चुका है। याचिका में मांग की गई थी कि तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना की उस अनुशंसा को खारिज किया जाए जिसमें उन्होंने सरकार से कहा था कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाया जाए। 

जब जस्टिस वर्मा सुर्खियों में आए थे

Advertisment

जस्टिस वर्मा तब सुर्खियों में आए थे जब 14 मार्च को दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक आवास में आग लगने के समय लगभग डेढ़ फीट से ज़्यादा ऊंचा नकदी का ढेर मिला था। उस समय जज अपने आवास पर नहीं थे।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। उनसे सभी न्यायिक कार्य भी वापस ले लिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने एक आंतरिक जांच पैनल भी गठित किया। 55 गवाहों की जांच के बाद पैनल ने पाया कि आरोपों में पर्याप्त तथ्य थे। पैनल ने पाया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का उस कमरे पर सीधा नियंत्रण था, जहां नकदी मिली थी। पैनल ने उनको नौकरी से हटाने की सिफारिश की थी। उसके बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने सरकार को रिपोर्ट भेजकर कहा था- जस्टिस वर्मा से कहा गया था कि वो स्वेच्छा से इस्तीफा दें। लेकिन उन्होंने मना कर दिया है। लिहाजा अब महाभियोग के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे थे जस्टिस वर्मा

जस्टिस वर्मा का अपने बचाव में कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक जांच पैनल की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा उसकी रिपोर्ट को खारिज किया जाए। उनका ये भी कहना था कि सीजेआई संजीव खन्ना ने उनके साथ गलत सलूक किया। आरोपों के पुख्ता होने से पहले ही मीडिया को सारा मामला लीक कर दिया गया। पैनल की रिपोर्ट पर उनका कहना था कि जस्टिस शील नागू की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने किसी भी गवाह के बयान को रिकार्ड नहीं किया। न तो सीसीटीवी की फुटेज देखी गईं और न ही उस रकम के स्रोत का पता लगाया गया जो कथित तौर पर उनके सरकारी आवास से मिली थी। 

Advertisment

Justice yashwant verma | justice yashwant verma case | Impeachment India | om birla

om birla Justice yashwant verma justice yashwant verma case Impeachment India
Advertisment
Advertisment