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डिजिटल फॉरेंसिक जांच में बड़ा खुलासा, ISI के लिए नैरेटिव बनाने वाली 'एसेट' थी Jyoti Malhotra

पहलगाम आतंकी हमले के बाद गिरफ्तार ज्योति मल्होत्रा के मोबाइल व लैपटॉप से 12TB डाटा मिला है। फॉरेंसिक जांच में खुलासा हुआ कि वह ISI द्वारा भारत में नैरेटिव बनाने की योजना का हिस्सा थी। हिसार पुलिस को मनी ट्रेल समेत कई डिजिटल सबूत मिले हैं।

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Dhiraj Dhillon
Jyoti Malhotra Utuber

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार ज्योति मल्होत्रा मामले में डिजिटल फॉरेंसिक जांच में बड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्योति मल्होत्रा ISI द्वारा रची गई भारत विरोधी नैरेटिव तैयार करने की योजना में एक "एसेट" के रूप में काम कर रही थी। हिसार पुलिस को ज्योति के मोबाइल और लैपटॉप से 12 टेराबाइट (TB) से अधिक डाटा मिला है, जिसमें संदिग्ध मनी ट्रेल और ISI से संपर्क के सबूत शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, ज्योति चार पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑफिसर्स (PIOs) के सीधे संपर्क में थी और उन्हें पहचानती थी।

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ग्रुप चैट के प्रमाण नहीं, वन- टू- वन करती थी बात

डिजिटल रिकॉर्ड में किसी ग्रुप चैट के प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन वन-टू-वन चैट में कई संवेदनशील जानकारी साझा की गई हैं। पहली पाकिस्तान यात्रा के बाद उसे विशेष वीजा, ISI की मंजूरी और सुरक्षा कवच दिया गया था, इस बात का भी खुलासा हुआ है। यह सेवाएं ISI के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को फंसाने की रणनीति का हिस्सा बतायी जा रही हैं।

पाकिस्तान यात्रा के बाद लग गया था फालोअर्स का अंबार

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हिसार पुलिस के अनुसार, पाकिस्तान यात्रा के वीडियो सामने आने के बाद ज्योति के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स और व्यूज में अचानक बढ़ोतरी हुई थी, एक तरह से कहा जाए तो उसके बाद से ज्योति मल्होत्रा के फालोअर्स का अंबार लग गया था। जांच में यह भी सामने आया है कि उसने जानबूझकर ISI की योजना में सहयोग किया ताकि उसे VIP ट्रीटमेंट और व्यक्तिगत लाभ मिलते रहें।

ज्योति को सलाखों के पीछे भेजने के पर्याप्त सबूत मिले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिसार पुलिस का कहना है कि ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ ‌मिले डिजिटल सबूत इतने मजबूत हैं कि कई संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है। पुलिस का मानना है कि यदि समय पर गिरफ्तारी नहीं होती, तो यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता था। हालांकि अब तक अत्यंत गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। पुलिस उसके बैंक खातों और फंडिंग सोर्स की भी गहराई से जांच कर रही है।

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