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Kanwar Yatra नेम प्लेट विवाद, सरकार की सख्ती, विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान खानपान की दुकानों पर दुकानदारों की पहचान दर्शाने के आदेश पर विवाद खड़ा हो गया है। जुलाई 2024 में शुरू हुए इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी, लेकिन सितंबर में राज्य सरकार ने फिर सख्त नियम लागू कर दिए।

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Jyoti Yadav
Kanwar Yatra name plate controversy
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर जारी प्रशासनिक सख्ती और उससे उपजे 'नेम प्लेट विवाद' पर सियासत तेज हो गई है। सरकार की ओर से जहां श्रद्धालुओं की सुरक्षा, स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के नाम पर कई कड़े निर्देश जारी किए गए हैं, वहीं विपक्ष ने इन्हें धार्मिक भेदभाव और निजता का उल्लंघन बताया है।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस आदेश पर कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा,"आप दुकानदार को लाइसेंस देते हैं, नाम क्यों पूछते हैं? अगर नियम तोड़ा जाए तो जुर्माना लगाइए, लेकिन इस तरह से नाम पूछना आपत्तिजनक है।" वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा,"यह लोग साझा संस्कृति और विरासत को खत्म करना चाहते हैं। मुसलमान भी कांवड़ियों की सेवा करते हैं, उन्हें भी इससे दिक्कत है। यह देश मोहब्बत का है, नफरत का नहीं।"

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कांवड़ यात्रा 'नेम प्लेट' विवाद पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, "आने वाले कांवड़ यात्रियों की आस्था, पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाए। उनकी यात्रा निरापद हो, उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुख-सुविधाएं मिले इसका पूरा ध्यान रखना राज्य सरकारों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का शत प्रतिशत पालन किया जाना चाहिए।" 

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क्या है नेम प्लेट विवाद?

कांवड़ यात्रा मार्गों पर खानपान की दुकानों पर नेम प्लेट अनिवार्य करने का आदेश जुलाई 2024 में आया। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से 18 जुलाई को जारी निर्देश में कहा गया कि सभी विक्रेताओं को अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से दुकान पर प्रदर्शित करना होगा। सरकार ने दावा किया कि इससे खाद्य सुरक्षा बनी रहेगी और हलाल सर्टिफिकेशन जैसे मुद्दों पर फैलने वाले भ्रम को रोका जा सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट की रोक और सरकार की दोबारा सख्ती

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22 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा कि दुकानदारों की व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करना निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। इसके बावजूद 24 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया आदेश जारी किया, जिसमें प्रदेश के सभी भोजनालयों और रेस्तरां में मालिक, मैनेजर और कर्मचारियों के नाम-पते प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया। साथ ही, सीसीटीवी, मास्क-ग्लव्स, पुलिस वेरिफिकेशन जैसे नियम लागू कर दिए गए।

2025 में फिर सख्ती, यात्रा से पहले निर्देश जारी

25 जून 2025 को मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रा से पहले फिर स्पष्ट किया कि कांवड़ मार्गों पर खुले में मांसाहारी भोजन की बिक्री पूरी तरह से निषिद्ध होगी। साथ ही दुकानदारों को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने होंगे। इसके अतिरिक्त, प्रतिबंधित पशुओं की आवाजाही, खाने की तय कीमतें और साफ-सफाई को लेकर भी कड़े निर्देश दिए गए हैं। 

name plate controversy | supreme court | CM Yogi Adityanath

supreme court CM Yogi Adityanath Kanwar Yatra name plate controversy
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