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नई दिल्ली , वाईबीएन नेटवर्क
हर साल देश के वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं. बजट के बारे में ऐसी बहुत सी दिलचस्प बातें हैं, जिनको जानना भी काफी जरूरी है। इस संबंध में कई दिलचस्प तथ्य हैं। जैसे कि अब तक बजट फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था लेकिन साल 1999 में इस प्रथा को बदल दिया गया । अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश किया और तब से अब तक बजट सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता है । स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर 1947 को देश के पहले वित्त मंत्री आर.के. शनमुखम चेत्ती द्वारा पेश किया गया था। स्वतंत्रता के बाद से अब तक 34 वित्त मंत्री बजट पेश कर चुके हैं. आइए जानते हैं अब तक के उन वित्त मंत्रियों के बारे में जिनके नाम सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है।
सी.डी. देशमुख (1951-1956)
चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख ने 1920 में भारतीय सिविल सेवा में अपना करियर शुरू किया. 1943 में, वे भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर बने, जहां उन्होंने 1949 तक सेवा की. वे भारत सरकार और उसके वित्त विभाग से बैंक की स्वतंत्रता के दावे के लिए जिम्मेदार थे. देशमुख को 1950 में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया और 1956 में उन्होंने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.
मोरारजी देसाई- (1959-1963, 1967-1969)
पूर्व पीएम और भारतीय राजनीति के दिग्गज मोरारजी देसाई के नाम भारतीय वित्त मंत्रियों में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. देसाई ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में 10 बार बजट पेश किया. उन्होंने 28 फरवरी 1959 को अपना पहला बजट पेश किया था और अगले दो सालों में पूर्ण बजट पेश किए, फिर 1962 में एक अंतरिम बजट पेश किया। इसके बाद उन्होंने दो पूर्ण बजट पेश किए। चार साल बाद, 1967 में उन्होंने एक और अंतरिम बजट पेश किया और फिर 1967, 1968 और 1969 में तीन पूर्ण बजट पेश किए। कुल 10 बार बजट पेश किया।
वाईबी चव्हाण- (1970-1971, 1988- 1989)
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मार्च 1971 में पांचवें आम चुनाव के बाद वाईबी चव्हाण ने वित्त मंत्री की भूमिका संभाली. उन्होंने वित्तीय वर्ष 1971-72 के लिए अंतरिम बजट पेश किया और उसके बाद लगातार चार वर्षों के लिए अंतिम बजट पेश किया,
प्रणब मुखर्जी- (1982-1984, 2009-2012)
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भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान आठ बार बजट पेश किया. 1980, 2009 और 2012 में उनके कार्यकाल ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमता को दिखाया.
मनमोहन सिंह- (1991-1996, 2008-2009)
प्रधानमंत्री बनने से पहले मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान छह मौकों पर बजट पेश किया. 1990 के दशक में उनके बजट भाषण विशेष रूप से आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उल्लेखनीय हैं. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई बेहतरीन कदम उठाए जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है।
यशवंत सिन्हा- (1998- 2002)
यशवंत सिन्हा ने सात बार बजट पेश किया है. उन्होंने 1998 से 2002 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया.
पी चिदंबरम- (1996-1998, 2004-2008, 2013-2014)
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कांग्रेस के सीनियर नेता पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री के तौर पर नौ बजट पेश किए. 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में उनके कार्यकाल ने आर्थिक सुधारों, राजकोषीय समेकन और वैश्वीकरण अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के प्रबंधन की दिशा में बेहतर कार्य करने का प्रयास किया गया।
निर्मला सीतारमण- (31 मई 2019 से अब तक)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार आठवां बजट पेश करेंगी. इससे पहले जुलाई 2019 से पांच पूर्ण बजट पेश कर चुकी हैं. वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं. सीतारमण अब तक छह बार बजट पेश कर चुकी हैं. इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंचकर सीतारमण मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी. मोरारजी ने लगभग साठ साल पहले भारत के वित्त मंत्री के रूप में लगातार छह बजट पेश किए थे. वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं. इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंचकर उन्होंने मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है. मोरारजी देसाई ने लगभग साठ साल पहले भारत के वित्त मंत्री के रूप में लगातार छह बजट पेश किए थे. एक दिलचस्प बात ये भी है कि मौजूदा वित्त मंत्री सीतारमण के नाम सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड है.
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