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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | फेमस इटेलियन लग्जरी फैशन हाउस प्राडा द्वारा कोल्हापुरी चप्पल की नकल कर चपप्ल बनाने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है। इस मामले में अब फैशन कंपनी प्राडा के खिलाफ 'अनधिकृत उपयोग' के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। प्राडा पर आरोप है कि उन्होंने कोल्हापुरी चप्पल के डिजाइन की नकल की और उसे प्राडा का नाम दिया। प्राडा ने कोल्हापुरी को कोई क्रेडिट नहीं दिया, जबकी ये देखने में बिल्कुल कोल्हापुरी चप्पलों की हूबहू कॉपी है।
PIL filed in Bombay HC against fashion brand Prada for "unauthorised" use of Kolhapuri chappals; seeks compensation for "copying design". pic.twitter.com/QbPRKuwjdZ
— Press Trust of India (@PTI_News) July 4, 2025
कारीगरों को मुआवजा देने की मांग
फैशन हाउस प्राडा के खिलाफ कोल्हापुरी चप्पलों के कथित अनाधिकृत उपयोग के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है,और प्राडा से भारतीय कारीगरों को मुआवजा देने की मांग की गई है। प्रादा ने अपने स्प्रिंग/समर कलेक्शन में अपने 'टो-रिंग सैंडल' प्रदर्शित किए, जिसके बारे में याचिका में कहा गया है कि यह कोल्हापुर चप्पलों से से मिलते-जुलते हैं। इन सैंडल की कीमत 1 लाख रुपये प्रति जोड़ी है। पुणे के छह वकीलों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, "कोल्हापुरी चप्पल महाराष्ट्र का सांस्कृतिक प्रतीक है।"
क्यों दायर हुई याचिका
बता दें, ये याचिका भारतीय पारंपरिक डिजाइनों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भौगोलिक संकेत (GI) उत्पादों के उल्लंघन को रोकने के लिए दायर की गई है। इस जनहित याचिका में कहा गया कि प्राडा का "टो रिंग सैंडल" संग्रह मिलान (Milan) में भारत की कोल्हापुरी चप्पलों से इंस्पायड है। याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गणेश हिंगमिरे ने ये भी आरोप लगाया कि
ये ब्रांड ब्रोकेड, ब्लॉक प्रिंटिंग, बंधनी, शरारा और साड़ी जैसे पारंपरिक भारतीय डिजाइनों की नकल करते हैं।
क्या है पूरा विवाद समझे
दरअसल प्राडा ने अपने स्प्रिंग/समर 2026 मेन्सवेयर कलेक्शन में कोल्हापुरी चप्पल जैसी सैंडल पेश की। प्राडा ने मिलान फैशन शो में इन सैंडल्स को शो किया गया। ये चप्पलें महाराष्ट्र और कर्नाटक के पारंपरिक हस्तनिर्मित कोल्हापुरी चप्पलों से हूबहू मिलती-जुलती थीं, लेकिन प्राडा ने भारत या इसके कारीगरों को डिजाइन का श्रेय नहीं दिया। इन सैंडल्स की कीमत 1-1.2 लाख रुपये रखी गई, जबकि स्थानीय कारीगर इन्हें 300-1500 रुपये में बेचते हैं।
विरोध शुरू हुआ तो कंपनी ने 27 जून 2025 को महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स (MACCIA) को पत्र लिखकर स्वीकार किया कि उनकी सैंडल्स कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित हैं। प्राडा के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी हेड लोरेंजो बर्टेली ने कहा कि वे भारतीय कारीगरों के साथ सहयोग के लिए तैयार हैं और डिजाइन अभी प्रारंभिक चरण में है।
Kolhapuri slipper controversy | कोल्हापुरी चप्पल विवाद