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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। मथुरा में स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित स्थल मानने से इनकार कर दिया है और हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज कर दी है। यह फैसला जस्टिस राम मनोहर मिश्रा की सिंगल बेंच ने दिया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि उपलब्ध सबूतों और याचिका के आधार पर फिलहाल ईदगाह को विवादित संरचना के रूप में घोषित नहीं किया जा सकता। हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि ईदगाह का निर्माण श्री कृष्ण की जन्मभूमि पर बने पुराने मंदिर को तोड़कर किया गया था।
क्या है विवाद?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मथुरा की 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन में लगभग 11 एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का है, जबकि बाकी 2.37 एकड़ पर शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है। दोनों परिसर एक-दूसरे से सटे हुए हैं, जिस कारण वर्षों से विवाद जारी है। हिंदू पक्ष का कहना है कि यह पूरी भूमि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे गलत और बेबुनियाद मानता है।
5 मार्च को दाखिल की थी याचिका
इस विवाद को लेकर 5 मार्च 2025 को हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इसमें उन्होंने मांग की थी कि शाही ईदगाह मस्जिद को “विवादित ढांचा” घोषित किया जाए। इस पर 23 मई को सुनवाई पूरी हुई थी, कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले पर फैसला सुनाया गया है।
ईदगाह के नाम पर कोई रिकॉर्ड नहीं
हिंदू पक्ष का तर्क है कि ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से वहां पहले मंदिर था। हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि मुगलकालीन ग्रंथ ‘मासिर-ए-आलमगीरी’ और अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउस जैसे इतिहासकारों ने भी अपनी रिपोर्ट में वहां मंदिर का उल्लेख किया है। उन्होंने यह भी कहा कि शाही ईदगाह के नाम पर न तो कोई सरकारी रिकॉर्ड है, न ही नगर निगम में पंजीकरण, और न ही मस्जिद के नाम से टैक्स जमा किया जा रहा है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि विदेशी यात्रियों ने भी अपने लेखों में इस स्थान को भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बताया है, लेकिन मस्जिद का उल्लेख कहीं नहीं मिलता।
अयोध्या की तर्ज पर सर्वे की मांग
महेंद्र प्रताप सिंह ने यह दावा भी किया कि यदि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वे कराया जाए, तो वहां मंदिर के अवशेष मिलने की पूरी संभावना है। उन्होंने कोर्ट के समक्ष यह भी कहा कि जमीन पर केवल कब्जा करने से वह किसी की संपत्ति नहीं बन जाती। उन्होंने यह मुकदमा अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले जैसा बताते हुए कहा कि जिस तरह बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था, उसी तरह शाही ईदगाह को भी घोषित किया जाना चाहिए।