नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी शुक्रवार को सिक्किम में अपने साथी सैनिकों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर विशेष सैन्य विमान द्वारा सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरबेस से फैजाबाद लाया गया और रात भर के लिए सैन्य अस्पताल में रखा गया। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार अयोध्या के जामथरा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ।
शहीद शशांक का स्मारक बनेगा, 50 लाख की आर्थिक सहायता
शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ लेफ्टिनेंट शशांक को अंतिम सलामी दी गई। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या में हनुमानगढ़ी में पूजा-अर्चना के दौरान लेफ्टिनेंट शशांक के साहस और त्याग की प्रशंसा की। उन्होंने उनके सम्मान में अयोध्या में एक स्मारक बनाने की घोषणा की और राज्य सरकार ने उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया।
सिक्किम के दुर्गम क्षेत्र में बलिदान
सिक्किम की ऊंचाई पर स्थित एक कठिन इलाका है, जहां शशांक अपने साथियों के साथ ऑपरेशनल गश्त पर थे। अचानक एक जवान फिसलकर बर्फीली नदी में गिर गया। बहाव इतना तेज़ था कि वह जवान तेजी से बहने लगा। किसी भी क्षण मौत उसे निगल सकती थी, लेकिन शशांक ने एक पल भी गंवाए बिना छलांग लगा दी। शशांक की मदद से साथी की जान बच गई। उन्होंने साथी को जीवनदान तो दे दिया, मगर खुद वापिस नहीं लौटे। लेफ्टिनेंट शशांक खुद जलधारा की चपेट में आ गए। बचाव दल ने उन्हें काफी तलाशा और आखिर में लगभग 800 मीटर नीचे, उनका पार्थिव शरीर बरामद किया गया।
बचपन से ही था वर्दी का सपना
शशांक का सपना हमेशा से भारतीय सेना में जाने का था। अयोध्या के जिंगल बेल स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा और फिर जेबीए एकेडमी से इंटरमीडिएट पूरी कर उन्होंने 2019 में पहले ही प्रयास में NDA परीक्षा पास की। 17 दिसंबर 2024 को उन्होंने भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभाना शुरू किया, और पहली तैनाती मिली थी सिक्किम में। दोस्ती और बलिदानी की मिसाल कायम करते हुए शशांक मात्र 23 साल की उम्र में शहीद हो गए, लेकिन इतिहास में उनका नाम अमर रहेगा।
Martyrs tribute | Indian Army Martyr