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Madhya Pradesh: सर्पदंश घोटाले ने उड़ाए होश! कैसे हुआ करोड़ों की हेराफेरी का खेल?

मध्य प्रदेश में सर्पदंश के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया, जिसमें कुल 11 करोड़ 26 लाख रुपये की राशि का गबन किया गया। मामला सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है।

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Pratiksha Parashar
Snake bite scam, madhya Pradesh

सांकेतिक तस्वीर, सोर्स- मेटा AI

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क मध्य प्रदेश में घोटाले का एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसे सुन हर किसी के होश उड़ जाएंगे। यह घोटाला सर्पदंश के नाम पर किया गया, जिसमें कुल 11 करोड़ 26 लाख रुपये की राशि का गबन किया गया। इस मामले में तहसीलदार से लेकर बड़े अधिकारियों तक के नाम सामने आये हैं। मामला सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने इसे लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं। 

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47 मृत लोगों के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी

यह मामला मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से सामने आया है। जांच में सामने आया कि 47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु के दावे दर्ज कर, शासन से 11 करोड़ 26 लाख रुपये की हेराफेरी की गई।

एक मृत व्यक्ति को 30 बार सांप ने काटा

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दरअसल, सांप के काटने से होने मृत्यु पर सरकार द्वारा 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। इस योजना का दुरुपयोग करते हुए, रमेश नाम के व्यक्ति को 30 बार सर्पदंश से मृत दर्शाया गया, इस आधार पर 1.20 करोड़ रुपये निकाल लिए गए। वहीं, रामकुमार को 19 बार मृत दिखाकर, 38 फर्जी दस्तावेज बनाकर करीब 81 लाख रुपये की राशि हड़प ली गई।

तहसील और जिला स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत

इस पूरे गबन में सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी सचिन दहायक की भूमिका प्रमुख रही। उसने तहसील और जिला स्तर के अधिकारियों कीमिलीभगत से शासन की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) को गुमराह किया। बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के ही भुगतान पास किए गए। अब तक की जांच में 46 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है, जिनमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और पांच तहसीलदार भी शामिल हैं। लेकिन अब तक सिर्फ सचिन दहायक की ही गिरफ्तारी हुई है।

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कैसे हुआ घोटाले का खुलासा

यह घोटाला वित्त विभाग की विशेष टीम की जांच में सामने आया, जिसकी रिपोर्ट संयुक्त संचालक रोहित सिंह कौशल ने सिवनी कलेक्टर को सौंप दी है। अब आगे की कार्रवाई जिला प्रशासन करेगा।

2019 से 2022 तक चला घोटाला

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यह घोटाला 2019 में शुरू हुआ, जब राज्य में कमलनाथ सरकार थी, और यह 2022 तक यानी शिवराज सिंह चौहान की सरकार में भी जारी रहा। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 2020 से 2022 के बीच राज्य सरकार ने सांप के काटने से हुई मौतों के नाम पर 231 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा था, जबकि इन दो सालों में 5,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं।

सियासी घमासान शुरू

इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरते हुए सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, “मप्र के केवल एक जिले में सर्पदंश पीड़ितों को 11 करोड़ रुपयों का कागजी मुआवजा दिया गया! सोचिए, बाकी 54 जिलों में सरकारी भ्रष्टाचार की क्या स्थिति होगी?” वहीं, भाजपा सरकार का कहना है कि, “हमारी सरकार में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच जारी है और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

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