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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) के दर्जे को लेकर विधानसभा में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में किसी भी समुदाय को ओबीसी में शामिल करने का आधार केवल सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन होगा, न कि उनका धर्म।
50 नए उपवर्गों की पहचान के लिए चल रहा सर्वे
सीएम ममता बनर्जी ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने एक विशेष आयोग का गठन किया है, जो ओबीसी वर्ग में शामिल किए जाने वाले 50 नए सामाजिक समूहों का सर्वेक्षण कर रहा है। यह प्रयास सुनिश्चित करेगा कि वंचित तबकों को योजनाओं का लाभ मिले।
ओबीसी में दो श्रेणियां
पश्चिम बंगाल में फिलहाल, ओबीसी-ए में अधिक पिछड़े समुदायों के 49 उपवर्ग शामिल हैं, जबकि ओबीसी-बी में अपेक्षाकृत कम पिछड़े 91 उपवर्गों को रखा गया है। यह वर्गीकरण सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के आधार पर किया गया है।
विधानसभा में पेश हुई आयोग की रिपोर्ट
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की वार्षिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में पेश की। रिपोर्ट पेश करने के बाद सीएम ने सदन को संबोधित करते हुए बताया कि लोगों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला क्षेत्रीय सर्वे और आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद वंचित तबकों को न्याय देना है और उन्हें उनका हक दिलाना है, पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ।
76 नई जातियां अन्य पिछड़े वर्ग में जोड़ीं
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार ने एक हफ्ते पहले 76 नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की स्टेट लिस्ट में शामिल करने का ऐलान किया था। सीएम ममता ने 2 जून को हुई कैबिनेट बैठक में 76 नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की स्टेट लिस्ट में शामिल करने के पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। पश्चिम बंगाल में ओबीसी वर्ग के तहत पहले से ही 64 जातियां आती हैं। 76 नई जातियों को शामिल किए जाने के बाद अब ओबीसी कैटेगरी में शामिल जातियों की संख्या 140 हो गई है। mamta banerjee | west Bengal