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Manipur CM Resign: बीरेन सिंह के इस्तीफे पर विपक्ष का हमला

Manipur CM Resign: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार यानी 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह फैसला राज्य में करीब दो साल से जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक दबाव के बाद लिया।

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Kamal K Singh
BIREN SING KHARGE JAIRAM
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार यानी 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह फैसला राज्य में करीब दो साल से जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक दबाव के बाद लिया। मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।

एम. बीरेन सिंह के पद छोड़ने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि बीरेन सिंह ने इतना समय क्यों लिया। वहीं विपक्ष इस सरकार पर हमलावर है, हर राजनीतिक दल ने क्या कहा, यह समझने से पहले आइए जानते हैं कि बीरेन सिंह ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में क्या कहा।

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'अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं हर मणिपुरी के हितों की रक्षा, विकास कार्यों और विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समय पर की गई कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं, आपके कार्यालय के माध्यम से केंद्र सरकार से मेरा विनम्र अनुरोध है कि इसे जारी रखा जाए। मैं इस अवसर पर उनमें से सबसे महत्वपूर्ण बात बताना चाहूंगा... मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना, जिसका हजारों वर्षों से समृद्ध और विविध सभ्यतागत इतिहास रहा है।'

बीरेन सिंह के पत्र में केंद्र सरकार से अनुरोध

'मुक्त आवागमन व्यवस्था(एफएमआर) की पूर्ण सुरक्षित संशोधित प्रणाली को जारी रखे, जिसमें बायोमेट्रिक प्रणाली को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए और सीमा पर कड़ी निगरानी की जाए।'

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बिरेन सिंह के इस्तीफे पर विपक्ष का हमला

इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी जमकर हमला बोला है, विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे ने आप एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा है कि

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‘‘यह दुखद है कि 21 महीनों तक मणिपुर में आग लगाई और विभिन्न समुदायों के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया। उनकी अक्षमता और राजधर्म के प्रति घोर उपेक्षा के परिणामस्वरूप करीब 258 लोग मारे गए, पुलिस शस्त्रागारों से 5,600 से अधिक हथियार और 6.5 लाख गोला-बारूद लूट लिए गए, 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए और हजारों लोग अब भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।"

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