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नई दिल्ली । पहलगाम आतंकी हमले के बाद बुधवार शाम प्रधानमंत्री आवास पर सीसीएस की बैठक हुई । इस बैठक में पाकिस्तान को लेकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पांच बड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तान पर शिकंजा कसा है । इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को अलग थलग करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है । इसके साथ ही भारत सरकार ने अब साफ कर दिया है कि भारत भी अब पाकिस्तान को लेकर उदारवादी रूख नहीं अपनाएगा । मोदी सरकार ने पूर्व में एयरस्ट्राइक के बाद इस बार डिप्लोमेटिक स्ट्राइक को अंजाम दिया है । सरकार की इस स्ट्राइक से अब पाकिस्तान में हाहाकार मचने वाला है ।
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने जो पांच बड़े निर्णय लिए, उसका ऐलान विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने किया है। लिए हैं, उससे पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा
48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सऊदी का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात अपने आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक अध्यक्षता की । इस बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए , जिसमें से एक बड़ा फैसला है कि अगले 48 घंटों में पाकिस्तान के सभी नागरिकों को भारत छोड़ना पड़ेगा ।
पाक नागरिकों को वीजा नहीं
भारत ने इसके साथ ही अपने उदारवादी रुख को बदलकर इस बार पाकिस्तान को करारा सबक सिखाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही अब पाकिस्तानी नागरिकों को भारत का वीजा नहीं मिलेगा । इसके साथ ही सार्क वीजा वालों को भी पाकिस्तान वापस लौटना पड़ेगा ।
अटारी बॉर्डर को बंद किया गया
इसके साथ ही मोदी सरकार ने अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का आदेश दे दिया है । इसके बाद अब अटारी बॉर्डर को अगले आदेश तक पूरी तरह बंद कर दिया गया है ।
7 दिन में भारत छोड़े पाक राजनयिक
इसके साथ ही भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि अब पाकिस्तानी राजनयिक को वापस भेजा जाएगा । इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना के सलाहकार भी वापस भेजे जाएंगे । सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या भी 55 से घटाकर 30 कर दी है ।
सिंधु जल समझौता रद्द
विदित हो कि पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चोट के रूप में भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है । बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत, भारत को तीन पूर्वी नदियों - रावी, व्यास और सतलुज - का पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों - चिनाब, झेलम और सिंधु का पानी मिलता है। भारत पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत परियोजनाएं तभी बना सकता है, जब वे जल के प्रवाह को न बदलें। लेकिन दोनों पक्षों के बीच गहरे अविश्वास का मतलब है कि जम्मू और कश्मीर में दो भारतीय परियोजनाओं - चेनाब पर बगलिहार संयंत्र और झेलम पर किशनगंगा - पर मतभेद संधि के व्यापक विवाद में बदल गए हैं।
बहरहाल , भारत सरकार के इस रूख से आने वाले दिनों में पाकिस्तान में हाहाकार मच जाएगा ।