नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। 9 जून 2024 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के सर्वोच्च पद की शपथ ली, तो भाजपा अकेले बहुमत से चूक गई थी। विपक्षी खेमे में इसे लेकर खासा उत्साह देखा गया। राहुल गांधी जैसे नेता आत्मविश्वास से भरे नजर आए और भाजपा की गठबंधन पर निर्भरता को लेकर तीखी आलोचना भी हुई। भाजपा के 400+ सीटों के दावे के उलट उसे तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार जैसे पुराने सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ा। आलोचकों ने इन्हें "संभावित बैसाखी" कहा और आशंका जताई कि इन नेताओं का अतीत में गठबंधन बदलने का रिकॉर्ड रहा है।
मजबूत सरकार, मजबूती से खड़े रहे सहयोगी
हालांकि, एक साल बाद
मोदी सरकार न सिर्फ स्थिर नजर आ रही है, बल्कि उसके गठबंधन सहयोगी भी पूरी मजबूती से साथ खड़े हैं। नायडू और नीतीश दोनों ने सार्वजनिक रूप से मोदी के नेतृत्व की सराहना की है। वहीं, भाजपा ने विधानसभा चुनावों में उल्लेखनीय वापसी की है और अपनी राजनीतिक पकड़ को दोबारा मजबूत किया है।
हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया और आम आदमी पार्टी के किले को भी हिला दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित किया कि पार्टी अपनी रणनीति में सफल रही है।
“पीएम मोदी का नेतृत्व आज भी निर्विवाद”
राजनीतिक विश्लेषक और दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर मनोज कुमार मानते हैं कि PM Modi का नेतृत्व आज भी निर्विवाद बना हुआ है। उनका कहना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सैन्य कार्रवाई और जातीय जनगणना को लेकर सरकार के फैसलों ने मोदी को एक मजबूत और दूरदर्शी नेता की छवि दी है। मनोज कुमार कहते हैं, “मोदी का कल्याण मॉडल ‘सबका साथ, सबका विकास’ आज भी असरदार है और पार्टी के पास एक ऐसा लोकप्रिय चेहरा है जिसका कोई विकल्प विपक्ष के पास नहीं है।”
वक्फ विधेयक पास होने से साफ दिखी मजबूती
संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक को पास कराने में तेदेपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) का समर्थन भाजपा की मजबूत स्थिति का संकेत देता है। अब जब भाजपा अपने तीसरे कार्यकाल के पहले साल का उत्सव मना रही है, पार्टी की नजर अगले साल तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार जैसे अहम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। सवाल यह है कि क्या भाजपा विपक्ष के गढ़ों में और गहरी पैठ बना पाएगी? एक साल की सफल वापसी के बाद, अगले चुनावों में उसका प्रदर्शन यह तय करेगा कि वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को और चौंका सकती है या नहीं।