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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि युद्ध की मूल प्रकृति भले ही सदियों से एक जैसी बनी हुई है, लेकिन इसका चरित्र तेजी से बदल रहा है। उन्होंने गुरुवार को CII सम्मेलन में कहा कि आधुनिक तकनीकी प्रगति और गैर-पारंपरिक खतरों के कारण युद्ध और शांति के बीच की सीमाएं अब धुंधली हो गई हैं।
आतंकवाद सीमित नहीं रहा
एडमिरल त्रिपाठी ने आगाह करते हुए कहा कि आतंकवाद जैसे खतरे सीमित नहीं रह गए हैं, ये व्यापक संघर्षों में बदल सकते हैं। उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि अब हम उस दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां युद्ध सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि साइबर, अंतरिक्ष और गैर-संपर्क तकनीकों के माध्यम से भी लड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज की रणनीति में तकनीकों को तेजी से अपनाना, उन्हें सैन्य क्षमताओं में बदलना, बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता और नवाचार ही हमारी सामूहिक सुरक्षा का आधार बनेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक
वहीं, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय विजय करार दिया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन सभी भारतीय सेनाओं के बीच शानदार समन्वय और पेशेवर क्षमता का उदाहरण था। एयर चीफ ने कहा, “हम सत्य के मार्ग पर थे और मुझे लगता है कि ईश्वर भी हमारे साथ था। यह केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की एकजुटता की जीत है। मैं हर भारतीय का आभार व्यक्त करता हूं।” एडमिरल त्रिपाठी ने भारत की समुद्री रणनीति पर भी जोर दिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "सागर" यानी ‘सुरक्षा और सभी के लिए क्षेत्रीय विकास’ का दृष्टिकोण भारत की समुद्री शक्ति के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है।