नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया चैनलों को एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्हें अपने कार्यक्रमों में सायरन की आवाज का उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है। यह
कदम नागरिकों की मानसिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सायरन की आवाज का अत्यधिक उपयोग दर्शकों में घबराहट और चिंता पैदा कर सकता है, विशेषकर समाचार प्रसारणों और आपातकालीन कार्यक्रमों में। इसलिए, मीडिया चैनलों से आग्रह किया गया है कि वे इस प्रकार की ध्वनियों के प्रसारण में संयम बरतें और केवल आवश्यकतानुसार ही उनका उपयोग करें।
दर्शकों हो जाते हैं चिंतित हो जाते हैं
यह निर्देश मीडिया चैनलों को उनके कार्यक्रमों में सायरन की आवाज के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए जारी किया गया है, ताकि दर्शकों पर नकारात्मक मानसिक प्रभाव न पड़े और वे अधिक जागरूक और शांतिपूर्ण तरीके से
सूचनाओं को ग्रहण कर सकें। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया चैनलों से कहा है कि वे अपने कार्यक्रमों में सायरन की आवाज का अत्यधिक उपयोग न करें। खासकर जब यह आपातकालीन समाचार प्रसारणों या संकट से संबंधित रिपोर्टिंग में सुनाई देती है, तब इसे देख या सुन रहे लोगों में अकारण भय और तनाव उत्पन्न हो सकता है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल तभी सायरन का उपयोग किया जाए जब यह बेहद जरूरी हो और इसके उपयोग से जनता को कोई अधिक नुकसान न हो।
न्यूज चैनल सही दिशा में सूचित करें
इस एडवाइजरी में यह भी उल्लेख किया गया है कि मीडिया चैनलों को अपने कंटेंट के निर्माण में ऐसे तत्वों को भी ध्यान में रखना चाहिए, जो समाज पर सकारात्मक मानसिक प्रभाव डालें और दर्शकों को घबराने की बजाय सही दिशा में सूचित करें। सरकार की यह कोशिश है कि जनता के बीच शांति बनी रहे, और वे किसी भी आपातकालीन स्थिति में अधिक सजग और शांतिपूर्वक प्रतिक्रिया दें।
विशेषज्ञों के अनुसार, सायरन की आवाज़ या अन्य शोर-शराबे वाली ध्वनियों का अत्यधिक उपयोग एक प्रकार से तनाव और चिंता के स्तर को बढ़ा सकता है, खासकर तब जब लोग इन आवाज़ों को आपातकालीन स्थिति से जोड़कर देख रहे हों। इस तरह की आवाज़ों से लोग अवचेतन रूप से आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाते और उनकी घबराहट बढ़ जाती है।