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NDRF का माउंटेनियरिंग होगी रेगुलर, पहाड़ में आपदाओं से निपटने की तैयारी

NDRF ने 'शौर्य' पर्वतारोहण अभियान की तीसरी कड़ी को सफलतापूर्वक पूरा किया। DG पियूष आनंद बोले- हर साल होगा माउंटेनियरिंग प्रोग्राम, आपदा राहत टीम हाई-ऑल्टिट्यूड में बचाव को लेकर अब ज्यादा तैयार।

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Dhiraj Dhillon
Piyush Anand DG ndrf

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) द्वारा आयोजित तीसरे पर्वतारोहण अभियान ‘शौर्य’ को लेकर DG पियूष आनंद ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा- हमने निर्णय लिया है कि माउंटेनियरिंग प्रोग्राम को अब हर साल आयोजित किया जाएगा। पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं आम होती जा रही हैं और उनकी तीव्रता भी बढ़ रही है। हमारी टीम को फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में पूरी तरह तैयार रहना चाहिए।

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तीसरा पर्वतारोहण मिशन संपन्न

DG आनंद गुरुवार को दिल्ली मुख्यालय में एनडीआरएफ के तीसरे पर्वतारोहण मिशन के समापन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि यह तीसरा पर्वतारोहण मिशन था और इससे टीम को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन की वास्तविक चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने का अनुभव मिला। उन्होंने कहा- अब अगर हमें कल ही किसी ऊंचाई वाले क्षेत्र में रेस्क्यू करना पड़े, तो हमारी टीम पूरी तरह सक्षम है।

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ऐसे अभियानों से बेहतर होगी टीम की दक्षता

एनडीआरएफ के डीजी पियूष आनंद ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य NDRF कर्मियों को शारीरिक, मानसिक और तकनीकी रूप से उच्च पर्वतीय इलाकों में राहत कार्य के लिए तैयार करना है। हर साल ऐसे अभियानों से टीम की दक्षता और भी बेहतर होगी। इसी मंशा के साथ यह आयोजन अब हर साल कराने का निर्णय लिया गया है।

तीसरे पर्वतारोहण अभियान को जानिए

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एनडीआरएफ के तीसरे पर्वतारोहण अभियान को 21 मई को देहरादून से हरी झंडी दिखाकर रवाना‌ किया था। एनडीआरएफ के महानिदेशक पीयूष आनंद ने कहा कि यह ट्रैकिंग अभियान जवानों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बचाव कार्यों को और प्रभावी ढंग से अंजाम देने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित किया गया था।एनडीआरएफ की इस टीम में 44 सदस्य शामिल थे, जो देहरादून, उत्तरकाशी, गंगोत्री, चीड़बासा, भोजवासा, तपोवन और कीर्ति ग्लेशियर होते हुए लगभग 6,832 मीटर ऊंची 'केदार डोम' चोटी पर विजय प्राप्त करके लौटे हैं। यह ट्रैक अत्यंत कठिन है, जिसमें दुर्गम पहाड़ी मार्ग और ग्लेशियर शामिल हैं।

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