नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर बरामद कैश के मामले में नए- नए खुलासे हो रहे हैं। एक ओर कैश बरामदगी ही सवालों के घेरे में आ गई है वहीं सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने भी जस्टिस वर्मा के खिलाफ कोई फैसला लिए जाने से इनकार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने की खबरें सामने आने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन अनिल तिवारी की प्रतिक्रिया सामने आई थी। बता दें कि 14 मार्च को उनके दिल्ली स्थित घर में आग लगने की घटना के बाद भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर आई थी। अब उनके खिलाफ एक और मामला सामने आया है, जिसमें उनका नाम सीबीआई की एफआईआर में शामिल रहा है। यह मामला 2018 का है और उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद स्थित सिंभावली शुगर मिल घोटाले से जुड़ा है।
जानिए क्या है सिंभावली शुगर मिल का मामला
दरअसल, सिंभावली शुगर मिल का खाता 2012 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित किया गया था। शुगर मिल पर किसानों की मदद करने के नाम पर लोन लेने और उसमें हेरफेर करने का आरोप है। 22 फरवरी को मामले में सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी। उसके पांच दिन बाद ही ईडी ने मनी लॉड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड पर बैंकों को धोखा देने का आरोप है। चौंकाने वाली बात यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा, 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बनने से पहले, इस मिल में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे।
शुगर मिल ने ओबीसी से लिया था 150 करोड़ का लोन
किसानों का भुगतान करने के नाम पर सिंभावली शुगर मिलने ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) से 150 करोड़ रुपये का लोन दिया था। बैंक ने मामले की शिकायत सीबीआई से की थी। बाद में OBC का विलय पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हो गया। CBI की जांच में यह सामने आया कि चीनी मिल ने किसानों की मदद के नाम पर लोन लिया गया था, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल किया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो फैसलों में इस एफआईआर का उल्लेख किया गया था। आरोपी पक्ष ने सीबीआई की अग्रिम जमानत के साथ ही सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की थी।
सिंभावली शुगर मिल मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा
सुप्रीम कोर्ट ने सिंभावली शुगर मिल के खिलाफ SBI की दिवालियापन प्रक्रिया को रोकने से इंकार कर दिया। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले का रद्द कर दिया था जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं थी, अधिकारी कानून के मुताबिक धोखाधड़ी के लिए कार्रवाई कर सकते हैं। एसबीआई की ओर से मिल के दिवालियापन की कार्रवाई को रोकने से भी सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया था।
अब नए विवादों में जस्टिस वर्मा
सिंभावली शुगर मिल से नाम जुड़े होने के कारण सीबीआई की एफआईआर में जस्टिस वर्मा का नाम आने की बात सामने आई थी, अब उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर से जस्टिस वर्मा का नाम एक नए विवाद से जुड़ गया, हालांकि उनके घर में आग लगने की घटना के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम मिली नकदी का मामला भी उलझ गया है। टीम को लीड कर रहे एफएसओ ने अब नकदी बरामद होने से इंकार कर दिया है। लेकिन यह विवाद इस समय सुर्खियों में है और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी नेता मामले में सवाल खड़े कर रहे हैं।