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Nitish Katara murder case: सजा पूरी होने पर भी सुखदेव पहलवान की रिहाई नहीं, SC का दिल्ली सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर तलब किया है। उन्हें 28 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना होगा।

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Dhiraj Dhillon
Supreme Court
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नीतीश कटारा हत्याकांड में 20 साल की सजा पूरी कर चुके सुखदेव पहलवान की रिहाई नहीं होने पर दिल्ली सरकार फंस गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया है। मामले में सर्वोच्च अदालत ने प्रमुख सचिव को तलब किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है, हालांकि राहत की बात यह है कि प्रधान सचिव को 28 मार्च को होने वाली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना होगा।
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कोर्ट ने पूछा सजा पूरी होने के बाद जेल में क्यों है पहलवान

आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि जब सुखदेव पहलवान की 20 साल की सजा 10 मार्च को पूरी हो चुकी है, तो वह अब तक जेल में क्यों है? अदालत ने यह भी कहा कि मामला व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, और अगर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं होता, तो यह अवमानना का मामला बनता है। सुखदेव पहलवान की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल की सजा पूरी हो चुकी है, इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। 
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मामले में बढ़ गई थी विकास और विशाल यादव की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2016 को विकास यादव और विशाल यादव की सजा 24 साल कर दी थी, जबकि सुखदेव पहलवान की सजा घटाकर 20 साल कर दी गई थी। बता दें कि 17 फरवरी 2002 को दिल्ली में एक शादी समारोह से नीतीश कटारा का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। नीतीश, डीपी यादव की बेटी भारती  से प्रेम करते थे। भारती के भाई विकास यादव ने अपने चचेरे भाई विशाल यादव और सुखदेव पहलवान के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।

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गाजियाबाद में पढ़ाई कर रही थीं भारती

उस समय भारती गाजियाबाद के एक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रही थीं, जहां उनकी मुलाकात नीतीश से हुई और दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गया। वे शादी करना चाहते थे, लेकिन भारती के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। विकास यादव ने अपने भाई और साथी के साथ मिलकर नीतीश की हत्या कर दी। इस हत्याकांड में नीतीश की माँ नीलम कटारा ने अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्हें धमकियाँ मिलीं, उन पर हमले हुए, लेकिन वे डटी रहीं। आखिरकार, उन्होंने अपने बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने में सफलता हासिल की थी।
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