अपने शो के दौरान पेरेंट्स के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल करने वाले रणवीर इलाहाबादिया को सर्वोच्च अदालत ने बड़ी राहत दी है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबादिया को नसीहत भी दी हैं, लेकिन गिरफ्तारी पर रोक मिलने से रणवीर फिलहाल राहत महसूस कर रहे हैं। उनके “इंडियाज गॉट लेटेंट” के एक एपिसोड में माता- पिता के पवित्र रिश्ते को लेकर कुछ असभ्य बातें कहे जाने से बवाल खड़ा हो गया था।
संबंधित एपिसोड पर अब कोई FIR नहीं होगी
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि जिस एपिसोड को लेकर बवाल मचा हुआ है, उसे लेकर अब कोई एफआईआर दर्ज नहीं होगी। जांच एजेंसियां अपना काम करें। इसके साथ ही कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया को सख्त चेतावनी दी है कि वह बिना अनुमति के देश छोड़ने की गलती कतई न करें। कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के भी आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने फटकार भी लगाई
इंडियाज गॉट लैटेंट विवाद पर रणवीर इलाहाबादिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने के साथ उन्हें जमकर फटकार भी लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने शो के दौरान सामने आए रणवीर के बयान पर खूब खरी खोटी सुनाईं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आपके दिमाग में कुछ गंदगी भरी हुई है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपने जो शब्द चुने हैं, उनसे माता-पिता शर्मिंदा होंगे, बहनें शर्मिंदा होंगी, पूरा समाज शर्मिंदा होगा। इसे विकृत मानसिकता के अलावा क्या समझा जाए।
चीप पब्लिसिटी की कोशिश गलत
रणवीर इलाहाबादिया की याचिका पर जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह चीप पब्लिसिटी स्टंट है। जस्टिस सूर्य कांत ने रणवीर से पूछा, 'क्या आप इस्तेमाल की गई उस भाषा का बचाव कर रहे हैं।" इस पर इलाहाबादिया की ओर से कोर्ट पहुंचे एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड ने कहा, "कोर्ट का एक अधिकारी होने के नाते मुझे इस्तेमाल की गई भाषा पर घिन आ रही है।' अदालत ने पूछा कि आखिर याचिकाकर्ता के हिसाब से अश्लीलता और फूहड़ता क्या है।