नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: शादी के महज छह दिन बाद पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पार्थिव शरीर के पास घुटनों के बल बैठी
हिमांशी नरवाल की तस्वीर पूरे देश को झकझोर गई थी। उस तस्वीर में उनके माथे से सिंदूर मिट चुका था जो न केवल उनके वैवाहिक जीवन के छिन जाने का प्रतीक था, बल्कि आतंक की निर्दयता की गूंज भी। यह दृश्य पूरे भारत के संकल्प का चेहरा बन गया और उसी का परिणाम है ‘सिंदूर’ केवल सौंदर्य नहीं, शौर्य का प्रतीक भी भारतीय संस्कृति में सिंदूर न सिर्फ विवाहित महिलाओं का सुहाग चिह्न है, बल्कि योद्धाओं के माथे का विजय तिलक भी। इतिहास में राजपूत और मराठा वीरों के माथे पर चमकता लाल तिलक, उनके युद्ध में जाने की तैयारी और साहस का प्रतीक होता था। यही सिंदूर अब आतंकवाद के खिलाफ भारत के बदले का प्रतीक बना।
भारत ने आतंक के गढ़ में घुसकर करारा जवाब दिया
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शादी के केवल छह दिन बाद एक
नवविवाहिता घुटनों के बल अपने पति के पार्थिव शरीर के पास बैठी रो रही थीं तो कोई अपना सुहाग बचाने के लिए लोगोंं से मदद मांग रहीं थीं। आंतकवादियों ने जिस तरह वहां महलिाओं के सुहाग को उजाड़ा उनकी मांग का सिंदूर मिटा दिया। यह सिर्फ एक स्त्री का दुःख नहीं था यह पूरे भारत का दुख था। उस सिंदूर का मिटना हर भारतीय के दिल में टीस बनकर उभरा और तभी से देश ने मन ही मन ठान लिया था इस सिंदूर का बदला लिया जाएगा। हमले के बाद देश ने कहा कि भारत अब खामोश नहीं रहेगा। पहलगाम हमले में मारे गए 28 निर्दोष लोगों की चिताओं की आग ठंडी नहीं हुई थी कि भारत ने आतंक के गढ़ में घुसकर करारा जवाब दिया।
ऑपरेशन सिंदूर: सिर्फ कार्रवाई नहीं, एक विचारधारा का जवाब
6 मई की रात डेढ़ बजे भारतीय सेना और वायुसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पीओके के अंदर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक और योजनाबद्ध हमला किया। यह अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से चलाया गया और इसका नाम ही इस कार्रवाई की भावना को बयां करता है। बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद ये वो क्षेत्र हैं जहां आतंक के ठिकाने पनपते रहे हैं। लेकिन इस बार भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद की कीमत एक चुटकी सिंदूर से भी कहीं ज्यादा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार यह स्ट्राइक पूरी तरह आतंकवादी ठिकानों पर केंद्रित थी। पाकिस्तान की सेना या नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत की यह कार्रवाई प्रतिशोध नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ न्याय है।
भारत का दो-टूक संदेश: अब और नहीं
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश का जन-जन आक्रोशित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट बैठक (CCS) में यह तय किया गया कि अब न केवल जवाब दिया जाएगा, बल्कि ऐसा जवाब दिया जाएगा जिसे आतंकी वर्षों तक याद रखें। इसके साथ ही सिंधु जल संधि को भी तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया—यह भी एक स्पष्ट कूटनीतिक संकेत था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ट्वीट किया—“भारत माता की जय”, और भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम किया।
श्रद्धांजलि और संघर्ष का संगम: ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर उन 26 लोगों को श्रद्धांजलि है, जिनकी ज़िंदगियां आतंक ने छीन लीं। यह उन सिसकियों का उत्तर है, जो 15 दिनों से घर-घर में गूंज रही थीं। यह उन गालों पर सूख चुकी आंसुओं की लकीरों का हिसाब है। यह उस हर महिला के नाम है, जिसके माथे से सिंदूर मिटाया गया। जहां एक ओर देश आतंक के खिलाफ खड़ा है, वहीं दूसरी ओर भारत की धार्मिक यात्राएं भी पूरी सजगता और सुरक्षा के साथ आगे बढ़ रही हैं। चारधाम यात्रा 2025 में श्रद्धालु अब टिहरी जनपद तक पहुंच चुके हैं और वहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आ रहे हैं।