नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है। इस हमले में 28 से अधिक निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिसके बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सक्रियता ने पड़ोसी मुल्क में बेचैनी फैला दी है। पाकिस्तान में सेना और सरकार दोनों को अब भारत के संभावित जवाबी एक्शन का भय सता रहा है।
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बॉर्डर पर तनाव पाक एयरफोर्स अलर्ट पर
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की वायुसेना की यूनिटों को
भारत-पाक सीमा के नजदीक तैनात किया जा रहा है। पूरे पाकिस्तान में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। आर्मी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं हैं और सैन्य कमांडर्स को चौकस रहने का आदेश मिला है। सीमा के पास टोही विमान (Surveillance Aircraft) तैनात कर दिए गए हैं ताकि भारतीय एयरस्पेस पर निगरानी रखी जा सके।
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पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने दी सफाई
पहली बार इस हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले से पाकिस्तान का पल्ला झाड़ने की कोशिश की। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने इस हमले को भारत की आंतरिक समस्या बताने की कोशिश की। उनका कहना था भारत की रियासतों में बगावतें हो रही हैं—नगालैंड, कश्मीर, मणिपुर, छत्तीसगढ़ तक... ये होम ग्रोन हैं, लोग अपना हक मांग रहे हैं, लेकिन दुनिया इस बयान को पाकिस्तान की चिर-परिचित सफाई मान रही है, जो पहले भी पुलवामा और उरी जैसे हमलों के बाद सामने आती रही है।
जवाबी कार्रवाई का डर
साल 2019 के पुलवामा हमले के बाद जब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी, तब से पाकिस्तान हर आतंकी घटना के बाद भारतीय प्रतिक्रिया से डरता रहा है। अब भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। पाकिस्तान के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भी माना है कि "भारत जवाबी कार्रवाई कर सकता है और इस्लामाबाद इससे निपटने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि नई दिल्ली के किसी भी कदम का पाकिस्तान मुंहतोड़ जवाब देगा लेकिन यह गीदड़भभकी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत वजन नहीं रखती, क्योंकि बार-बार पाकिस्तान की भूमिका उजागर हो चुकी है। इस हमले की अंतरराष्ट्रीय निंदा के बीच भारत की खामोशी अब तूफान से पहले की शांति मानी जा रही है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल लगातार बैठकें कर रहे हैं।