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बेरहम पाकिस्तान! अफगान शरणार्थियों को देश से खदेड़ने का आदेश

पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हजारों अफगान शरणार्थियों को गिरफ्तार करने और निर्वासित करने का आदेश दिया गया है। अफगान नागरिक कार्ड (ACC) धारकों के लिए देश छोड़ने की सरकार की समय सीमा सोमवार को समाप्त हो रही है।

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Pratiksha Parashar
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इस्लामाबाद, आईएएनएस। 

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पाकिस्तान सरकार ने अफगान नागरिकों को पकड़कर वापस उनके देश भेजने का आदेश दिया है। पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हजारों अफगान शरणार्थियों को गिरफ्तार करने और निर्वासित करने का आदेश दिया गया है। अफगान नागरिक कार्ड (ACC) धारकों के लिए देश छोड़ने की सरकार की समय सीमा सोमवार को समाप्त हो रही है। अब अफगान नागरिकों को पाकिस्तान से बाहर निकालने के लिए कानूनी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। 

इस्लामाबाद-रावलपिंडी में अफगानियों को बाहर करने का आदेश

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषकर इस्लामाबाद और रावलपिंडी में, सभी अफगान शरणार्थियों को तुरंत बाहर निकालने का आदेश दिया। पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक 'डॉन' की एक रिपोर्ट के अनुसार, रावलपिंडी के पुलिस प्रमुख ने रावल, पोतोहार और सदर डिवीजनों के अधीक्षकों को जिले में रहने या काम करने वाले अफगान नागरिकों (afganistan) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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POR कार्डधारक भी होंगे बाहर

एक पुलिस अधिकारी ने डॉन को बताया, "हमें निर्देश मिले हैं कि एसीसी कार्ड रखने वाले सभी अफगान नागरिकों को रावलपिंडी और इस्लामाबाद से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।" इसके अलावा निर्देशों में कहा गया कि पंजीकरण प्रमाण (पीओआर) कार्ड रखने वाले और दोनों शहरों में रहने वाले अफगानियों को सरकारी नीति के अनुरूप पाकिस्तान छोड़ना होगा। पीओआर कार्डधारकों के लिए देश छोड़ने की समय सीमा 30 जून, 2025 है।

पाकिस्तान के आदेश ने अफगोनियों को झकझोर दिया

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पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) की प्रतिनिधि फिलिपा कैंडलर ने रविवार को कहा कि सैकड़ों हजारों अफगान शरणार्थियों को निकालने के देश के फैसले ने अफगान समुदाय को 'झकझोर' दिया, क्योंकि उनकी उम्मीदें और सपने चकनाचूर हो गए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अधिक जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया।

पाकिस्तान के निर्देश से चिंता में अफगानिस्तान

कैंडलर ने कहा, "पिछले सप्ताह मैंने एक अफगान परिवार से मुलाकात की, जो शांति और सुरक्षा की तलाश में जल्दबाजी में अपना सब कुछ छोड़कर अफगानिस्तान से भागकर 2022 में यहां शरण लेने आए थे। यह देखना दिल दहला देने वाला था कि वे वापस जाने के लिए मजबूर होने से कितने भयभीत थे।" यूएनएचसीआर प्रतिनिधी ने कहा, "पाकिस्तानी सरकार के नवीनतम निर्देश कई समुदायों के ताने-बाने में महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न करते हैं। जिन समुदायों ने उनका स्वागत किया, उनसे विस्थापन और अफगानिस्तान में संभावित मजबूर वापसी, जबकि वहां उन्हें बहुत कम अवसर है।" 

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समय मांग रहे अफगानी

हाल ही में, पाकिस्तान में चार दशकों से रह रहे कई शरणार्थियों ने एक बार फिर सरकार से अपने प्रवास को बढ़ाने की अपील की। अफगान मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद में लगभग चालीस साल से रह रहे अफगान शरणार्थी जाबित खान का कहना है कि उन्होंने वर्षों में एक व्यवसाय स्थापित किया, और अब पाकिस्तान से निष्कासन उनके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। खान ने कहा, "हमें समय दीजिए, क्योंकि हम अचानक अपना कारोबार स्थानांतरित नहीं कर सकते। हमने यहां चालीस साल या उससे अधिक समय तक काम किया है और लोगों के साथ संबंध बनाए हैं। इससे हमें परेशानी होगी।"

अमेरिका ने की आलोचना

इससे पहले, अमेरिका स्थित वकालत समूह ह्यूमन राइट्स वॉच ने अफगान शरणार्थियों को जबरन निर्वासित करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की थी। ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया निदेशक एलेन पियर्सन ने कहा, "पाकिस्तानी अधिकारियों को तुरंत अफगानों को घर लौटने के लिए मजबूर करना बंद कर देना चाहिए और निष्कासन का सामना कर रहे लोगों को सुरक्षा मांगने का अवसर देना चाहिए।"

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