काबुल, आईएएनएस।
अफगान शरणार्थियों को जबरन निकाले जाने और अवैध तरीके से हिरासत में रखने की खबरों के बीच नया डेटा सामने आया है। आंकड़ों के मुताबिक, ईरान और पाकिस्तान ने 8 मार्च से 14 मार्च के बीच 674 अफगान प्रवासी परिवारों को अपने देश से निकाल दिया है। अफगान के अमू टीवी ने शनिवार को तालिबान के बयानों से संकलित डेटा का हवाला देते हुए बताया कि ईरान ने विभिन्न सीमा क्रॉसिंग के माध्यम से 564 परिवारों को निष्कासित किया, जबकि पाकिस्तान ने 110 परिवारों को जबरन निर्वासित किया है।
शिक्षा-स्वास्थ्य से वंचित रहेंगे अफगान प्रवासी
इस डेटा से पता चलता है कि 110 परिवारों ने स्पिन बोल्डक क्रॉसिंग के माध्यम से प्रवेश किया है, जबकि 150 परिवारों ने पुल-ए-अबरीशम के माध्यम से निमरोज में और 414 परिवारों ने इस्लाम कला के माध्यम से अफगानिस्तान में प्रवेश किया है। ईरान के आंतरिक मंत्रालय में विदेशी नागरिकों और अप्रवासी मामलों के ब्यूरो के महानिदेशक नादेर यारहमादी ने इस सप्ताह की शुरुआत में घोषणा की कि 21 मार्च, 2025 से ईरान में अवैध अफगान प्रवासियों को स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और अन्य सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा।
ईरान-पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की स्थिति खराब
टोलो न्यूज ने ईरान में एक अफगान प्रवासी मारोफेह एशाकी के हवाले से बताया, "ईरान में प्रवासियों की स्थिति बहुत खराब है। प्रवासी विरोधी भावना बढ़ गई है और पुलिस अधिकारी विभिन्न बहाने बनाकर लोगों को गिरफ्तार करते हैं। यहां तक कि वैध वीजा और वैध दस्तावेजों वाले लोगों को भी डिपोर्ट कर देते हैं।" पाकिस्तान में अफगान प्रवासियों की स्थिति भी उतनी ही चुनौतीपूर्ण है। टोलो न्यूज ने बताया है कि पाकिस्तानी पुलिस द्वारा हाल ही में भयंकर छापेमारी की गई, यहां तक कि रात के बीच में भी घरों पर छापा मारकर अफगान शरणार्थियों को गिरफ्तार किया गया है।
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लोग घरेलू सामान नीलाम करने को मजबूर हो रहे
पाकिस्तान में अफगान प्रवासियों पर दबाव बढ़ रहा है, खासकर इस्लामाबाद और रावलपिंडी में। अधिकारियों ने अफगान नागरिकों पर दबाव डाला है कि वे देश छोड़ दें। पाकिस्तान अफगान प्रवासियों को निर्वासित करने के प्रयास तेज कर रहा है, जिसके कारण कई लोग अपने घरेलू सामान को बहुत कम कीमतों पर नीलाम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। रावलपिंडी में अपने छह सदस्यीय परिवार के साथ रहने वाले अफगान प्रवासी शुजाउद्दीन ने कहा, "मैंने एक साल पहले लगभग 1.8 मिलियन पाकिस्तानी रुपए में दुकान किराए पर ली थी और इसमें निवेश किया था, लेकिन अब सरकार के फैसले के कारण मुझे दूसरे शहर में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अगर मैं नहीं गया तो वे हमें गिरफ्तार कर वापस अफगानिस्तान भेज देंगे। मैंने अपनी दुकान का सारा सामान बहुत कम कीमत पर नीलाम कर दिया है।"
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वीजा वाले लोग भी मुश्किलों का सामनाा कर रहे
पाकिस्तान में एक अफगान प्रवासी रेजा साखी ने कहा, "हम सभी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हमारा क्या होगा। यहां तक कि वीजा, पीओआर (पंजीकरण प्रमाण) कार्ड या एसीसी (अफगान नागरिक कार्ड) वाले लोग भी पाकिस्तान में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।"
मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार से की मांग
पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक समर्थन समूह जॉइंट एक्शन कमिटी (जेएसी) ने पिछले सप्ताह एक बयान जारी किया था, जिसमें इस्लामाबाद और रावलपिंडी में अफगान शरणार्थियों की गिरफ्तारी, अवैध हिरासत और उत्पीड़न को समाप्त करने की मांग की थी। स्थानीय मीडिया ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में मानवाधिकार संगठनों और शरणार्थी समर्थन समूहों के एक गठबंधन ने पाकिस्तानी सरकार को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें अफगान प्रवासियों के जबरन निर्वासन पर तत्काल रोक लगाने की अपील की गई थी।
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