नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जाति जनगणना को लेकर नीतिगत "यू-टर्न" लेने का आरोप लगाया और उनसे इस विषय पर स्पष्टता देने की मांग की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या उन्होंने जाति जनगणना पर अपनी आधिकारिक नीति में बदलाव किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या सरकार ने इस संबंध में कोई समयसीमा तय की है।
पीएम मोदी का यह रुख नया नहीं
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए केंद्र सरकार के हालिया निर्णय की ओर इशारा किया, जिसमें अगली जनगणना में जातियों की गणना किए जाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा, "जाति जनगणना पर नरेंद्र मोदी जी के अचानक, पूर्ण और हताशा भरे ‘यू-टर्न’ को लेकर पर्याप्त सबूत हैं। रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का यह रुख नया नहीं है, बल्कि इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर कट्टर विरोध जताया था। उन्होंने कहा, "पिछले साल, 28 अप्रैल 2023 को एक टेलीविजन साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने जाति जनगणना की मांग करने वाले सभी लोगों को 'अर्बन नक्सल' करार दिया था।
केंद्र सरकार का "सचेत नीतिगत निर्णय
उन्होंने आगे बताया कि 20 जुलाई 2021 को मोदी सरकार ने संसद में स्पष्ट रूप से कहा था कि वह नीतिगत रूप से केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की जाति-वार गणना करेगी, अन्य जातियों की नहीं। रमेश के अनुसार, 21 सितंबर 2021 को उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में भी केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा था कि जनगणना 2021 के तहत एससी और एसटी को छोड़कर किसी अन्य जाति के बारे में जानकारी नहीं ली जाएगी। उन्होंने इसे केंद्र सरकार का "सचेत नीतिगत निर्णय" बताया। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वास्तव में, मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से ओबीसी जाति जनगणना का आदेश न देने का आग्रह भी किया था। उन्होंने कहा कि यह सब दर्शाता है कि सरकार का रवैया लंबे समय तक जाति आधारित जनगणना के विरोध में रहा है।
जाति जनगणना पर अपनी नीति बदल दी है
रमेश ने प्रधानमंत्री से सीधे तौर पर पूछा, "क्या उनमें यह स्वीकार करने की ईमानदारी होगी कि उनकी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में जाति जनगणना पर अपनी नीति आधिकारिक तौर पर बदल दी है?" उन्होंने आगे पूछा, "क्या प्रधानमंत्री जनता और संसद को यह बताएंगे कि उनकी सरकार ने यह बदलाव क्यों किया है? और क्या वह यह भी बताएंगे कि जाति जनगणना के लिए कोई समयसीमा तय की गई है या नहीं? केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना को लेकर रुख बदलने के संकेत के बाद विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है और इसे सामाजिक न्याय से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय बता रहा है।