नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: आज से ठीक 50 साल पहले 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देश में आपातकाल लागू किया था। इस दिन को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में देखा जाता है। अब आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।
कांग्रेस पर किया तीखा प्रहार
निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के एक्स पर पोस्ट कर इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “चोरी और सीनाजोरी तो कोई कांग्रेस से सीखे। इस दौरान उनका दर्द भी छलका उन्होंने लिखा कि इमरजेंसी के दौरान मेरे परिवार सहित लाखों लोग सलाखों के पीछे गए। लेकिन कांग्रेस ने आज तक यह नहीं बताया कि आपातकाल की असली वजह क्या थी? पोस्ट में यह भी दावा किया कि “इतिहास के कागज कांग्रेस ने चुरा लिए हैं,” जिससे आज की पीढ़ी को सच्चाई नहीं पता चलती। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने न केवल आपातकाल लागू किया बल्कि संविधान की हत्या भी की
पोस्ट में कई बड़े आरोप लगाए गए हैं
कहा गया कि मौलिक अधिकार, जीवन का अधिकार, बोलने की आज़ादी, और घूमने-फिरने के अधिकार तक को
कांग्रेस ने छीन लिया था। सवाल उठाया गया है कि कितने लोग मारे गए, कितनों की जबरन नसबंदी हुई, कितनों पर गोलियां चलाई गईं, सबकुछ इतिहास से गायब है।
उन्होंने लिखा, "मेरे पिताजी की तरह कितने लोग सरकारी नौकरियों से निकाले गए, कोई आंकड़ा नहीं है। कितने जज हटाए गए, कितने कांग्रेस कार्यकर्ता जज बनाए गए, सबकुछ दबा दिया गया है।
मीडिया पर प्रतिबंधों का भी ज़िक्र करते हुए उन्होंने रामनाथ गोयनका जैसे पत्रकारों की दुर्दशा को याद किया और पूछा कि उस दौर में प्रेस की आज़ादी का गला किसने घोंटा?
यह भी दावा किया गया कि आपातकाल के दौरान अनुसूचित जाति और जनजातियों का आरक्षण तक खत्म करने की कोशिशें हुईं, लेकिन आज की पीढ़ी को इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि कांग्रेस ने इतिहास को ही अपने पक्ष में मोड़ लिया।
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