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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 26/11 का ज़ख्म आज भी भारत के दिल में ताज़ा है। कसाब को जिंदा पकड़ना कोई मामूली काम नहीं था, वो पाकिस्तान से भेजा गया आतंकी था। हमने अपने बहादुर जवान खो दिए, सैकड़ों मासूमों की जान गई। लेकिन ठीक दो साल बाद, उसी पाकिस्तान को भारत की सरकार ने करोड़ों रुपये दान दिए। अब राहुल गांधी की पाकिस्तान-माफिक बयानबाज़ी से सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है — क्या ये सिर्फ संयोग है या कुछ और?
26/11 मुंबई आतंकी हमले में भारत ने अपने वीर जवानों और सैकड़ों निर्दोष नागरिकों को खोया। इस हमले के पीछे पाकिस्तान की भूमिका साबित हुई थी, कसाब जैसे आतंकी जिंदा पकड़े गए। बावजूद इसके, कांग्रेस सरकार ने दो साल बाद पाकिस्तान को 25 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दी। अब जब राहुल गांधी बार-बार पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं, तो सवाल उठते हैं कि कहीं कांग्रेस और पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ खास तो नहीं?
मुंबई में 26 नवंबर 2008 की रात भारतीय इतिहास का सबसे भयावह आतंकवादी हमला हुआ। पाकिस्तान से आए दस आतंकवादियों ने मुंबई की सड़कों, होटल्स, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों को खून से रंग दिया।
इस हमले में...कितनों के परिवार उजड़ गए, कहां गया बदला!
- 217 आम नागरिक मारे गए
- 20 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी शहीद हुए
- आईपीएस अधिकारी, मेजर, कर्नल जैसे उच्च रैंक के जवान भी शहीद हुए
- हवलदार तुकाराम ओम्बले जैसे बहादुरों ने कसाब को ज़िंदा पकड़ा
- इन तथ्यों ने पाकिस्तान की संलिप्तता को दुनिया के सामने उजागर कर दिया।
- तो फिर पाकिस्तान को 25 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए?
भारत में जब ग़म और ग़ुस्से का माहौल था, तब UPA सरकार ने ठीक 2 साल बाद पाकिस्तान को 25 मिलियन डॉलर (लगभग 207 करोड़ रुपये) की आर्थिक सहायता दी।
सवाल उठता है...
क्या ये 25 मिलियन डॉलर किसी दबाव में दी गई थी या यह कांग्रेस पार्टी की "कूटनीति" थी?
कांग्रेस इस दान को मानवीय मदद बताती रही, लेकिन 26/11 जैसे आतंकी हमले के बाद यह कदम न सिर्फ असंवेदनशील बल्कि राष्ट्रीय भावना के खिलाफ भी लगा।
राहुल गांधी की ‘पाक-प्रेमी’ बयानबाज़ी से गहराया संदेह
हाल ही में राहुल गांधी ने एक सभा में बयान दिया जो हूबहू पाकिस्तान के नेताओं की भाषा जैसा था। उन्होंने...
- भारत की सेना पर सवाल उठाए
- कश्मीर नीति की आलोचना की
- भारत सरकार को "तानाशाह" कहा
ये बयान ऐसे समय पर आए जब पाकिस्तान बार-बार भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ज़हर उगल रहा है।
क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान को लेकर कोई सॉफ्ट कॉर्नर रखती है?
26/11 शहीदों के बलिदान पर क्यों उठते हैं राजनीतिक सवाल?
जब देश ने अपने आईपीएस अधिकारी, मेजर, कर्नल और हवलदार तुकाराम ओम्बले जैसे वीरों को खोया, तब देश उम्मीद करता है कि सरकारें आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएं।
लेकिन जब उसी देश की सरकार हमलावर देश को आर्थिक मदद दे, तो यह बात आम जनता के गले नहीं उतरती।
राहुल गांधी के मौजूदा बयानों ने इस पुराने घाव को फिर से हरा कर दिया है।
क्या कांग्रेस की नीति थी नरमी या रणनीति?
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस की “सॉफ्ट अप्रोच” शायद अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश थी।
लेकिन सवाल है — क्या ऐसा करना शहीदों के बलिदान के साथ न्याय था?
कई पूर्व नौकरशाह और सेना अधिकारी भी इस बात को लेकर चिंता जता चुके हैं कि कांग्रेस की नीति ने आतंक के खिलाफ भारत की वैश्विक छवि को कमजोर किया।
जनता की सोच क्या कहती है?
सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर गुस्सा भड़क रहा है।
X (ट्विटर), फेसबुक और यूट्यूब पर #CongressSupportsPakistan और #JusticeFor26_11 शहीद जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
26 /11 के भीषण आतंकी हमले जिसमें भारत के चार आईपीएस अधिकारी सेना के पांच मेजर दो कर्नल 20 सूबेदार रैंक के अधिकारी शहीद हुए। 217 आम नागरिक शहीद हुए हवलदार तुकोजी ओम्बले सहित 25 अन्य पुलिसकर्मी शहीद हुए
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) May 23, 2025
इतनी भीषण घटना के बाद जबकि उस घटना में कसाब जैसा जिंदा सबूत पकड़ा गया था जो… pic.twitter.com/oIlAnzPA9Q
लोग पूछ रहे हैं सवाल
- राहुल गांधी पाकिस्तान की भाषा क्यों बोलते हैं?
- क्या कांग्रेस की विदेश नीति में राष्ट्रहित प्राथमिक नहीं था?
- शहीदों की कुर्बानी पर क्या राजनीति हो रही है?
- सरकारों को जवाब देना होगा, शहीदों को नहीं भूल सकते
- देश आज भी उन चीखों को नहीं भूला जो 26/11 की रात मुंबई में गूंजी थीं।
हमारे सुरक्षाबलों की कुर्बानी, आम नागरिकों की जान और माताओं की सूनी मांग — ये सब सिर्फ आंकड़े नहीं हैं।
राहुल गांधी और कांग्रेस को साफ करना होगा कि पाकिस्तान के साथ उनका रिश्ता आखिर क्या है।
क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें और अपनी राय ज़रूर दें।
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