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Bihar बंद के बहाने खुला ‘वोट के खेल’ का राज! राहुल तेजस्वी बोले– चुनाव आयोग नहीं, सरकार रच रही साजिश! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । Bihar News : चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम के विरोध में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अन्य बड़े नेता सड़कों पर उतरे हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है। बिहार में भाजपा को यह पता चल गया है कि वो चुनाव हार रहे हैं इसलिए गरीबों को वोट देने से वंचित रखने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं। राहुल तेजस्वी ने भाजपा और आरएसएस पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोग गरीबों के दुश्मन हैं।
इलेक्शन कमीशन को दोनों नेताओं ने चेतावनी दी कि चुनाव आयोग को निष्पक्षता से काम करना चाहिए ताकि संविधान की रक्षा हो सके। जबकि इलेक्शन कमीशन भाजपा और आरएसएस के इशारे पर काम कर रहा है इसलिए हम सभी लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा है। दोनों नेताओं का कहना है कि ये जो चोरी करने का काम सब मिलकर रहे हैं इसको रोकना है इसके लिए हम सबको एक साथ विरोध करना होगा, देश को समाज को और गरीबों को बचाना होगा।
आपको बता दें कि आज बुधवार 9 जुलाई 2025 को पटना से लेकर मधुबनी, जहानाबाद और सीवान तक, पूरा बिहार ठप हो गया है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी हो रही है। आज सुबह से ही बिहार की सड़कें एक अलग ही कहानी बयां कर रही थीं। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम के खिलाफ बिहार बंद का आह्वान किया, और इसका असर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।
सड़कों पर उतरे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में, इंडिया गठबंधन के हजारों कार्यकर्ता और नेता, चुनाव आयोग के दफ्तर की ओर कूच कर रहे थे। इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर डाकबंगला चौराहा तक, सिर्फ प्रदर्शनकारियों की भीड़ नजर आ रही थी। यह सिर्फ ट्रैफिक जाम नहीं था, बल्कि बिहार के राजनीतिक भविष्य को लेकर एक गहरा असंतोष था, जिसने लाखों लोगों को घरों में कैद कर दिया।
पटना का पारा चढ़ा: राहुल-तेजस्वी के साथ सड़कों पर उतरे दिग्गज
Bihar Band News Live : राजधानी पटना आज चुनावी रणभूमि में तब्दील हो गई। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, वामदल के दीपांकर भट्टाचार्य, वीआईपी के मुकेश सहनी और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव एक साथ सड़कों पर थे। इनकम टैक्स गोलंबर पर जुटे इन दिग्गजों का काफिला चुनाव आयोग के कार्यालय की ओर बढ़ रहा था। हर कदम के साथ, एनडीए सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ नारों की गूँज तेज होती जा रही थी। प्रदर्शनकारियों ने न केवल सड़कों को जाम किया, बल्कि टायर जलाकर अपना गुस्सा भी जाहिर किया। मनेर और बिहटा जैसे इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर प्रदर्शनकारी डटे हुए थे, काले नियम को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
एक प्रदर्शनकारी ने गुस्से में कहा, "केंद्र सरकार ने नोटबंदी की थी, अब बिहार में वोटबंदी कर रही है! तीन करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। बिहार की जनता अब यह सरकार बदलने का मन बना चुकी है।" क्या यह सिर्फ आक्रोश है या 2025 के विधानसभा चुनाव का बिगुल?
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सिर्फ पटना नहीं: मधुबनी से सीवान तक, बिहार ठप!
Bihar Band News Live : पटना ही नहीं, बिहार के कोने-कोने से बंद की खबरें आ रही थीं। मधुबनी में दरभंगा-सुपौल रेलखंड पर राजद कार्यकर्ताओं ने ट्रेनें रोक दीं, जिससे रेलवे यातायात ठप पड़ गया। महिला कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के फैसले को अन्यायपूर्ण बताया। लखीसराय में शहीद द्वार पर मुख्य सड़कें जाम कर दी गईं, जहां प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार पर चुनाव आयोग का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया गरीब, शोषित और वंचित वर्गों की आवाज दबाने का प्रयास है।
जहानाबाद में पटना-गया हाईवे पर बवाल काटा गया, और जहानाबाद कोर्ट रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन को भी रोका गया। छात्र राजद के नेता शैलेश कुमार यादव ने साफ किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। पटना, जहानाबाद और भोजपुर में भी ट्रेनें रोकी गईं। आरा स्टेशन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फरक्का एक्सप्रेस रोक दी। पप्पू यादव भी सचिवालय हॉल्ट पर अपने समर्थकों के साथ ट्रेन रोककर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यह सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि बिहार के हर हिस्से से उठ रही एक सामूहिक आवाज है।
सीवान और वैशाली में भी आर-पार की लड़ाई!
Bihar Band News Live : सीवान में सड़कों पर बड़े-बड़े वाहन लगाकर यातायात ठप कर दिया गया था। दुकानें बंद थीं और प्रदर्शनकारी "इलेक्शन कमीशन का आदेश वापस लो" के नारे लगा रहे थे। गोपालगंज मोड़ और बबुनिया मोड़ पूरी तरह से ब्लॉक कर दिए गए थे, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। यहां तक कि आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं।
वैशाली में राजद विधायक मुकेश रोशन के नेतृत्व में विपक्षी कार्यकर्ताओं ने पटना को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु को जाम कर दिया। इससे गांधी सेतु पर आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया और लोग पैदल ही अपने गंतव्य तक जाने को मजबूर थे। टायर जलाकर और चुनाव आयोग के विरोध में नारेबाजी कर, प्रदर्शनकारियों ने अपना संदेश स्पष्ट कर दिया था। यह बिहार के हर वर्ग से उठ रही एक आवाज है, जो अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रही है।
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मुजफ्फरपुर और दरभंगा: चक्काजाम से ट्रेनें भी ठहरीं
Bihar Band News Live : मुजफ्फरपुर में जीरो माइल चौक पर बंद समर्थकों ने पटना-गया और मुजफ्फरपुर-दरभंगा हाईवे को जाम कर दिया। शहर के चौक-चौराहों पर राजद कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा मतदाता पुनरीक्षण कार्य गरीब, शोषित और वंचितों के लिए उचित नहीं है।
दरभंगा जंक्शन पर राजद नेताओं ने नमो भारत ट्रेन को रोक दिया। राजद नेता प्रेमचंद्र उर्फ भोलू यादव ने कहा कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का कार्य कमजोर और पिछड़े वर्गों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश है। उन्होंने धमकी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। यह सिर्फ सड़कों पर प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक राज्यव्यापी विद्रोह की शुरुआत हो सकती है।
क्या है चुनाव आयोग का मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम?
Bihar Band News Live : विपक्षी दलों का विरोध चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर है। इस कार्यक्रम के तहत, मतदाता सूची से उन नामों को हटाया जा रहा है जो डुप्लिकेट हैं, या जिनका पता गलत है, या जो अब उस विधानसभा क्षेत्र में नहीं रहते। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, जिससे गरीब और वंचित तबके के लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। उनका दावा है कि लाखों वैध मतदाताओं के नाम इस प्रक्रिया के तहत हटाए जा सकते हैं, जिससे आगामी चुनावों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
यह आरोप कितना सच है, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस विरोध ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। क्या चुनाव आयोग इस पर कोई स्पष्टीकरण देगा या यह मुद्दा और गरमाएगा?
यह चक्काजाम केवल एक दिन का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि बिहार की राजनीति में दूरगामी परिणाम देने वाला कदम हो सकता है। एक तरफ इंडिया गठबंधन अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। यदि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाते हैं, तो इसका सीधा असर मतदान प्रतिशत और चुनावी नतीजों पर पड़ेगा।
यह आंदोलन गरीबों और वंचितों की आवाज बनने की कोशिश है। क्या विपक्ष इस मुद्दे को भुनाकर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर पाएगा? क्या यह आंदोलन बिहार में 2025 के चुनावों का एजेंडा तय करेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेंगे, लेकिन आज का बिहार बंद यह तो साबित कर गया कि जनता के बीच आक्रोश गहरा है।
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